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शेखपुरा: भवन निर्माण विभाग में टेंडर घोटाले का मामला फिर हुआ उजागर - Tender scam in Shekhpura

सूत्रों की माने तो निविदा कार्य में हुए घोटाले की जानकारी दूरभाष पर भवन निर्माण मंत्री के सेल को भी उपलब्ध करा दिया गया. वहां से मामले की जांच कराए जाने की बात कही जा रही है. इसके पूर्व भी चुनाव के दौरान भवन निर्माण विभाग द्वारा बिना निविदा कराए 30 से 35 लाख का कार्य करा लिया गया था.

Shiekhpura
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Published : Jan 29, 2021, 10:20 PM IST

शेखपुरा:पारदर्शी सरकार और पारदर्शी निविदा कार्य के नाम पर शेखपुरा में टेंडर घोटाला हो रहा है. यह कारनामा भवन निर्माण विभाग के द्वारा कराया जा रहा है. 28 जनवरी को आयोजित निविदा में कुल 11 कार्यों के लिए टेंडर कराया गया था, जिसमें से 9 कार्य पूर्व में करा लिए गए हैं और अधिकारी अपने चहेतों को उन कार्यों का भुगतान करने के लिए टेंडर निकालकर खानापूर्ति किया जा रहा है.

सूत्रों की माने तो निविदा कार्य में हुए घोटाले की जानकारी दूरभाष पर भवन निर्माण मंत्री के सेल को भी उपलब्ध करा दिया गया. वहां से मामले की जांच कराए जाने की बात कही जा रही है. इसके पूर्व भी चुनाव के दौरान भवन निर्माण विभाग द्वारा बिना निविदा कराए 30 से 35 लाख का कार्य करा लिया गया था. इसकी डीएम से शिकायत होने पर भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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जानकारी के अनुसार, कुछ कार्यों का टेंडर बिना अखबार में प्रकाशित किए स्थानीय तौर पर मैनेज कर कार्यपालक अभियंता ब्रजेश कुमार के द्वारा अपने चहेतों को दे दिया गया. जांच का विषय यह है कि जिन टेंडरों को मैनेज किया जाता है, उसमें मात्र दो ही टेंडर गिरता है, जिसमें का एक असली और दूसरा डमी होता है. अक्सर मैनेज टेंडर में यही देखने को मिल रहा है. संवेदकों ने कहा है कि मामले की जांच जिलाधिकारी को किसी दो वरीय उपसमाहर्ता के स्तर से कराई जानी चाहिए. ताकि मामले के फर्ज़ीवाड़े का पर्दाफाश हो सके.

इन योजनाओं में हो चूका है कार्य
भवन निर्माण विभाग द्वारा बिना निविदा कराए कुछ योजनाओं का कार्य कराए गए हैं, जिसमें कारा लिपिक का आवास की मरम्मति 1.8 लाख, शेखपुरा अनुमंडल कार्यालय का मरम्मति 1.7 लाख, भवन प्रमंडल कार्यालय का मरम्मति 2.5 लाख, परिवार न्यायधीश के आवास की मरम्मति 1.84 लाख, न्यायिक पदाधिकारी के आवास का मरम्मति 3.5 लाख, अनुमंडल पदाधिकारी के आवास में गैरेज 1.9 लाख आदि कार्य बिना निविदा के करा लिए गए हैं, जो अपने आप में निष्पक्ष सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है.

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