शेखपुराः 'सर्कस वाला हूं, सिर्फ आंखों को नहीं, मौत को भी धोखा देता हूं.' यह डायलॉग आपने फिल्मों में सुने होंगे. यही लाइनें शेखपुरा (Sheikhpura) का 18 वर्षीय धीरज रविदास भी दोहराता था. जब भी वह साइकिल से करतब करता, यही लाइनें दोहराता. लेकिन किसे पता था कि अंधविश्वास (blind faith) की आड़ में मौत उसे धोखा दे जाएगी. करतब दिखाने के नाम पर वह 24 घंटों के लिए मिट्टी में जिंदा दफन हो गया. उसके साथियों ने दावा किया कि तंत्र-मंत्र, जादू-टोना से 24 घंटे बाद भी वो जिंदा निकलेगा. लेकिन ऐसा हो ना सका.
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मामला बरबीघा थानाक्षेत्र के मधेपुर गांव का है. शुक्रवार की रात थी. वह खुद के बनाए अंधविश्वासी कब्र में दफन था. ऊपर उसके साथी गीत संगीत और लौंडा डांस में मशगूल थे. उम्मीद थी कि हर बार की तरह इस बार भी उसका दोस्त अपने दावे को सच कर बाहर आ जाएगा.
रात भर वहां जश्न का माहौल चलता रहा. ऐसा लग रहा था जैसे मेला लगा हो. लोग कभी कब्र को देख रहे थे, तो कभी डांस पर तालियां बजा रहे थे. बता दें कि युवक शेखोपुरसराय प्रखंड अंतर्गत वीरपुर गांव का निवासी था. उसके पिता का नाम रामलगन रविदास था.
शुक्रवार की रात 12 बजे उसे गड्ढे से बाहर निकाला गया तो सब दंग रह गए. दम घुटने की वजह से मिट्टी के गड्ढे में ही उसकी मौत हो गयी. इस तरह से अंधविश्वास के चक्कर में धीरज के जीवन का अंत हो गया. घटना की सूचना मिलते ही वीरपुर गांव से धीरज रविदास के परिजन पहुंचे. मौके पर ही सब रोने और चीखने-चिल्लाने लगे. जिससे वहां का माहौल गमगीन हो गया. हालांकि घटना के बाद बरबीघा के प्रभारी थानाध्यक्ष दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. मृत युवक के शव को अपने कब्जे में लेना चाहा, किन्तु मृतक के परिजनों के विरोध पर उनको बैरंग लौटना पड़ा.