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बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग, यहां वोट मांगने भी नहीं आते नेता

लगभग 4 सौ घरों के चापाकल पूरी तरह सूख गए हैं. लोगों को कहना है कि जितनी जरूरत होती है उसका एक चौथाई पानी ही इस्तेमाल किया जा रहा है. हम लोग बूंद-बूंद पानी बचा रहे हैं, लेकिन कब तक?

पानी की किल्लत

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Published : Apr 25, 2019, 8:51 PM IST

छपराः गर्मी की तपिश बढ़ रही है और साथ ही पानी की समस्या भी. सारण जिले के नगरा प्रखंड में आने वाले तकिया पंचायत के वार्ड संख्या 6 के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. यहां सभी चापाकल सूख गए हैं, जमीन में वॉटर लेवल बेहद कम हो गया है.

तकिया पंचायत के इस वार्ड में लगभग 5 सौ घर हैं. जिनमें से लगभग 4 सौ घरों के चापाकल पूरी तरह सूख गए हैं. लोगों को कहना है कि जितनी जरूरत होती है उसका एक चौथाई पानी ही इस्तेमाल किया जा रहा है. हम लोग बूंद-बूंद पानी बचा रहे हैं, लेकिन कब तक?

की गई कई फिट गहरी खुदाई
ग्रामीण बताते हैं कि लगातार खुदाई की जा रही है. तकरीबन 10 फीट तक खुदाई कर ली गई लेकिन उसमें पानी का लेवल न के बराबर है. वहीं हैंडपंप की गहराई लगभग 150 फीट है. इसके बावजूद नल सूखे पड़े हैं.

बेहद कम हो गया वॉटर लेवल

कितनी धरातल पर हर घर नल जल योजना
मुख्यमंत्री सात निश्चित योजना के तहत हर घर नल का जल मुहैया कराने का लक्ष्य राज्य सरकार ने रखा है, लेकिन सारण जिले में यह योजना धरातल पर नहीं नजर आ रही. आज नहीं इस इलाके में पानी की समस्या पिछले एक साल से है. ऐसे में गर्मी के मौसम में लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.

सूखा

लिखित शिकायत भी की
लोगों का कहना है कि सारण के जिलाधिकारी और प्रखंड के सभी अधिकारियों समेत पंचायत प्रतिनिधियों से लिखित शिकायत भी की है. जिसके बाद बीडीओ साहब ने पीएचडी विभाग के अधिकारियों के जिम्मे होने की बात कही थी. नतीजतन पानी की किल्लत की समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ है.

शिकायत पत्र

वहीं, नगरा प्रखंड के बीडीओ श्रीनारायण ने कहा कि मेरे पास कोई शिकायत नही आई है. जबकि पंचायत में हर घर नल का जल योजना को शुरू करने के लिए पीएचडी विभाग को पत्र लिखा गया है. जिसमें विभाग के द्वारा पानी की समस्या पर काम लोकसभा चुनाव के बाद शुरू करने की बात कही गई है.

सूख गए गांव के चापाकल

वोट मांगने भी नहीं आते उम्मीदवार
यहां लोकसभा का चुनाव आगामी 6 मई को होने वाला है लेकिन अभी तक किसी भी राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस गांव में सम्पर्क नहीं किया. गांव के लोगों का कहना हैं कि चुनाव के दिन हम लोग वोट बहिष्कार भी कर सकते हैं.

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