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देखिये शिक्षा मंत्री जी! सूबे के शिक्षकों को ही नहीं पता आपका नाम, PM मोदी को बताते हैं मुख्यमंत्री - शिक्षा विभाग न्यूज

जिस सूबे के स्कूलों में शिक्षक की ये स्थिति है, वहां सरकार के 'सब पढ़ें, सब बढ़ें' का नारा कैसे सफल होगा? देखिय कि इस जिले में शिक्षकों के ज्ञान पर ही बट्टा लगा है.

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Published : Aug 16, 2019, 2:01 PM IST

Updated : Aug 18, 2019, 1:03 PM IST

सारणःजिले के सोनपुर प्रखंड स्थित सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का सामान्य ज्ञान शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है. स्थानीय शिक्षकों को बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री तक का नाम नहीं पता है. ये गुरुजी अंग्रेजी के साधारण शब्दों की स्पेलिंग में भी अटक जाते हैं. सरकार ने 'सब पढ़ें, सब बढ़ें' का नारा तो बुलंद कर दिया. लेकिन जब पढ़ाने वालों के ही ज्ञान पर बट्टा लगा हो तो पढ़ने वाले कहां तक बढ़ पाएंगे.

स्कूल के बच्चे

मोबाइल में उलझे रहते हैं गुरुजी
प्रखण्ड में स्कूल की पड़ताल करने जब ईटीवी भारत की टीम जहांगीरपुर के प्राथमिक स्कूल में पहुंची तो मीडिया को देखते ही शिक्षकों में हड़कंप मच गया. स्कूल के रजिस्टर में 5 शिक्षकों की हाजिरी बनी थी. लेकिन विद्यालय में 3 ही शिक्षक मिले. बाकि के 2 बिना सूचना दिए ही गायब थे. स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि यहां शिक्षकों को जब मन होता है तब आते हैं, जब मन होता है, तब चले जाते हैं. शिक्षक स्कूल में होते भी हैं तो वो पढ़ाने के बजाय अपने मोबाइल में उलझे रहते हैं और आसपास में गप्पे हांकते हैं.

स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं

निजी स्कूलों में जाने लगे हैं बच्चे
वहीं, टीम जब उत्क्रमित मिडिल स्कूल पहुंची तो वहां बोर्ड पर विद्यालय का नाम तक नहीं लिखा था. पूछने पर दलील दी गई कि विद्यालय का रंग-रोगन हुआ था, उसी में स्कूल का नाम भी मिट गया. यहां तैनात आठ शिक्षकों में से तीन शिक्षक नहीं दिखे. स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्लैकबोर्ड तक नहीं था. बच्चों की उपस्थिति बहुत कम थी. कारण पूछने पर छात्रों ने बताया कि विद्यालय में पढ़ाई ठीक नहीं होने के कारण बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला लेने लगे हैं. यहां के ज्यादातर शिक्षक भी बिहार के शिक्षा मंत्री और जिले के डीएम का नाम तक नहीं बता सके.

बिखरे पड़े सामान

बुनियादी सुविधाओं की भी है कमी
सोनपुर प्रखंड के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी देखने को मिली. छात्राओं ने बताया कि विद्यालय में शौचालय की स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से बहुत परेशानी होती है. पीने के पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं है. ज्यादातर स्कूलों में चहारदीवारी तक नहीं है. जिससे स्कूल के बरामदों पर मवेशियों का कब्जा रहता है. स्कूल के अंदर जरूरी कागजात और सामान बिखरे पड़े रहते हैं.

स्कूल की बदतर स्थिति और बयान देते प्रिंसिपल और एसडीओ

क्या कहते हैं एसडीओ
अनुमंडल के एसडीओ शम्भू शरण पांडेय ने बताया कि प्रखंड विकास पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को स्कूलों की स्थिति देखने के लिए निर्देश दिया जाएगा. शिक्षकों को भी इस बात पर जोर देना होगा कि स्कूल में शैक्षणिक माहौल बेहतर बनाएं, ताकि इस तरह की शिकायत ना आए.

Last Updated : Aug 18, 2019, 1:03 PM IST

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