बिहार

bihar

ETV Bharat / state

ग्राउंड रिपोर्टः बाढ़ ने बाहरी दुनिया से किया अलग-थलग, दाने-दाने को मोहताज बाढ़ पीड़ित - एनडीआरएफ

मुख्यमंत्री ने बाढ़ के पहले बैठक करके सभी अधिकारियों को तैयारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकारियों की अनदेखी की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

saran
saran

By

Published : Aug 12, 2020, 4:14 PM IST

सारणः बिहार में इन दिनों बाढ़ की भयावह स्थिति देखने को मिल रही है. राज्य के 14 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. जिले में 9 प्रखंड के 102 पंचायत स्थित 443 गांव बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं. जिससे लगभग 7 लाख 06 हजार 595 आबादी प्रभावित हुई है. वहीं, सारण-तरैया प्रखंड के 30 गांव पूरी तरह पानी से घिर गए हैं, इनका संपर्क प्रखंड मुखयालय और अस्पताल से टूट गया है.

लोगों का दर्द
सारण-तरैया प्रखंड के बाढ़ प्रभावित लोगों को अस्पताल और प्रखंड मुखयालय से संपर्क टूटने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत लगातार बाढ़ की स्थिति पर ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. हमारे संवाददाता जब सारण-तरैया प्रखंड के भलुवा गांव में पहुंचे तो वहां रह रहे लोगों का दर्द छलक उठा.

देखें रिपोर्ट

नहीं मिल पा रही कोई सुविधा
सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाके के लिए कई व्यवस्थाएं की हैं. सरकार इलाकों में 283 नाव चलवा रही है. साथ ही एनडीआरएफ की 5 टीम को भी यहां तैनात किया गया है. बिहार सरकार की तरफ से 292 जगह सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है. साथ ही मवेशियों के लिए 56 क्विंटल चारा भी उपलब्ध कराया गया है, लेकिन गांव वाले ज्यादा दूरी पर व्यवस्था होने के कारण वहां जाने में असमर्थ हैं. जिससे उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है.

बाढ़ के पानी में घिरे घर

डूब गए सामान और राशन
ग्रामीण कौशल्या देवी ने बताया कि गांव में कोई व्यवस्था नहीं है. लोगों के घरों तक में कमर से ऊपर तक पानी भरा हुआ है. उन्होंने बताया कि बाढ़ के पानी में हमारा राशन और जरूरी सामान सब डूबकर बर्बाद हो गए. ऐसे में हमारे पास खाने तक को कुछ नहीं है. कौशल्या देवी ने बताया कि सरकार ने व्यवस्था तो की है, लेकिन पानी की वजह से हम उतनी दूर नहीं जा पाते हैं.

आवागमन करने को मजबूर लोग

सांप बिच्छू का डर
एक अन्य ग्रामीण विश्वनाथ राय ने बताया कि दिन में तो लोग किसी तरह सामुदायिक किचन तक चले जाते हैं, लेकिन रात में सांप बिच्छू का डर लगा रहता है. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों को हो रही है. कई बुजुर्ग मजबूरी में मवेशियों को खिलाने के लिए कमर भर पानी पार करके चारा लाने जा रहे हैं.

घर में घुसा पानी

प्रशासनिक मदद का इंतजार
ग्रामीणों ने बताया कि गांव का अस्पताल से संपर्क टूट चुका है. ऐसे में नाव लेकर सड़क तक जाने में एक घंटा लग जाता है. अगर कोई बीमार पड़ जाता है या नाजुक स्थिति में मरीज सड़क तक पहुंचने में ही दम तोड़ देगा. गांव वालों को प्रशासनिक मदद का इंतजार है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details