सारण:हौसले को अगर पंख मिल जाये तो उसे उड़ान भरने से कोई नहीं रोक सकता. कमजोरी को अपनी ताकत में बदलना ही विजयपथ की पहली सीढ़ी है. बैसाखी के सहारे अपने कदमों को आगे बढ़ाती सारण की ये बेटी अपने दृढ़ निश्चय के आगे हालात बदलने में लगी है.
हालात से लड़ रही दिव्यांग सुमन
वो वैसाखी के सहारे चलती है, खुद पढ़ती है, दूसरे बच्चों को भी पढ़ाती है, घर के हालात ठीक नहीं हैं, लेकिन हौसले कम नहीं हुए. रोजाना घर से कॉलेज और स्कूल, समय से लड़ने की यह जिद सारण की बेटी सुमन कुमारी की है. जिसे पढ़ने की ललक है. गरीबी और आर्थिक तंगी से लड़ने का गजब का हौसला. ये हौसला अपने पिता से है मिलता है, जो मेहनत मजदूरी कर परिवार चला रहे हैं. परिवार की आर्थिक तंगी और दिव्यांग होने के बावजदू हालात के आगे झुकने को तैयार नहीं है. इस पथ पर सुमन को पिता का भी बखूबी सहयोग मिल रहा है.
दूसरे के खेतों में काम करते हैं पिता
दिव्यांग सुमन ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान संघर्ष के बारे में बताती हैं. दिव्यांग सुमन कहती हैं, अपने लक्ष्य को कदम बना कर दुनिया के साथ चल रही हूं. खुद के हौसलों से अपनी पहचान बदल रही हूं. सोनी कुमारी जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर नगरा प्रखंड स्थित बंगरा अमर छपरा गांव की रहने वाली हैं. आगे कहती है, जब वह छः महीने की उम्र में एक पैर पोलियो ग्रस्त हो गया. अभी घर का आर्थिक हालात कुछ ठीक नहीं है. पिता जी दूसरे के खेतों में मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन मुझे पढ़ने में सहयोग कर रहे हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करती सुमन खुद पढ़ती है और बच्चों को भी पढ़ाती है
हालांकि हालात से लड़ रही इस बेटी को पढ़ने और पढ़ाने का जुनून सवार है. सुमन जेपी विश्वविद्यालय के अंतर्गत एक महाविद्यालय से विज्ञान विषय से स्नातक कर रही हैं. पढ़ाई का खर्च खुद उठाती है. कॉलेज जाने के साथ निजी स्कूल में भी पढ़ाती है. सुमन ने बताया कि घर से कॉलेज की दूरी ज्यादा है. ऑटो पकड़ने के लिए रोजाना घंटो वैशाखी के सहारे मुख्य सड़क तक जाना पड़ता है. ऑटो पकड़ कर पढ़ाई करने छपरा स्थित कॉलेज जाती हूं.
अपने हौसले को पंख दे रही दिव्यांग सुमन डॉक्टर बनना है सुमन का सपना
सुमन के सपनों को पंख लगाने में शहर के जानेमाने चिकित्सक व समाजसेवी डॉ अनिल कुमार की बड़ी भूमिका है. सुमन बताती हैं, छपरा में उन्होनें मुझे दो साल पहले बैशाखी के सहारे देखा. डॉक्टर साहब ने ट्राइसाइकिल के अलावे आर्थिक सहयोग भी दिया. आगे भी सहयोग करने के लिए तैयार रहते हैं. सुमन अपने सपनों के बारे में खुलासा करते हुए कहती हैं कि मैं भविष्य में डॉक्टर बन समाज सेवा करनी चाहती हूं. असहाय, लाचार और गरीबों की सेवा करना ही मेरा लक्ष्य है. इस कार्य में पिता का बखूबी सहयोग मिल रहा है. तीन बहन की शादी हो चुकी है. लेकिन पिता जी ने पढ़ाई के कारण कभी शादी का दबाव नहीं डाला.