सारण:जिला प्रशासन की ओर से बाहर से आ रहे प्रवासियों के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं. ताकि बाहर से आये लोग सीधे-सीधे अपने घरों को न जाकर पहले अपने ब्लाक क्वॉरंटाइन सेंटर पर 21 दिनों तक रहें. साथ ही सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी निर्देशों का पालन करें. इस दौरान अगर उनमें संक्रमण का कोई लक्षण दिखाई देता है तो उन्हें आइसोलेशन में रखा जायेगा. इसके बाद जब ठीक हो जाएंगे, तब उन्हें घर जाने की इजाजत दे दी जाएगी.
सारण: प्रवासियोंं की संख्या के अनुपात में नहीं है क्वॉरंटाइन सेंटर, सुविधाएं भी नदारद
डीएम सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार लगातार क्वॉरंटाइन सेंटरों की संख्या बढ़ाने और सभी सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन बाहर से आ रहे लोगों की संख्या बहुत अधिक है.
50 नए क्वॉरंटाइन सेंटर बनाने का निर्देश
डीएम सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार लगातार क्वॉरंटाइन सेंटरों की सख्या बढ़ाने और सभी सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बाहर से आ रहे लोगों की संख्या जिला प्रशासन के अनुमान से बहुत अधिक है. गुरुवार को डीएम ने जिले में 50 और क्वॉरंटाइन सेंटर बनाने का निर्देश दिया है. वहीं, छपरा के महरौरा के विधायक ने कहा कि जिला प्रशासन क्वॉरंटाइन सेंटर ही नहीं बना पा रहा है तो सुविधा उपलब्ध कराने का प्रश्न ही नहीं उठता है. स्थानीय विधायक ने कहा कि व्यव्स्था में कमी के कारण बाहर से आये हुये लोग अपने घर चले जा रहे हैं. जबकि इससे संक्रमण बढ़ने का खतरा है. बता दें कि जिले में करोना पॉजिटिव की सख्या 21 हो गई है, जिनमें से 10 स्वस्थ हो चुके हैं और अभी जिले में 11 एक्टिव केस हैं.
क्वॉरंटाइन सेंटर की कमी के कारण घर जा रहे प्रवासी
राज्य सरकार ने सभी डीएम को निर्देश दिया है कि बाहर से आ रहे प्रवासियों के लिये सभी सुविधाएं उपलब्ध करायें. उनके भोजन, पानी, आवासन और दैनिक उपयोग के सामानों के साथ कपड़े भी उपलब्ध कराएं. इसके साथ ही उन्हें भोजन के अलावा एक ग्लास दूध और मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध कराया जाना है. लेकिन प्रवासियों की भारी संख्या में आने से जिला प्रशासन और राज्य सरकार की सारी व्यवस्था चौपट हो रही है. ट्रेनों के अलावा बड़ी संख्या में मजदूर अन्य साधनों और पैदल अपने घर पहुंच रहे हैं. इस स्थिति में जिला प्रशासन की सारी व्यवस्था कम पड़ रही है और प्रवासी बाहर से आने के बाद सीधे अपने घरों को चले जा रहे हैं. वहीं, जब स्थानीय लोगों को और प्रशासन को इसकी जानकारी होती है तब उनके लिये क्वॉरंटाइन कैंप बनाया जाता है. कैंप में एक समस्या ये भी है कि यहां पहले से रह रहे लोग किसी बाहरी को आने नहीं दे रहे हैं.