छपराः बिहार में दीपावली का त्योहार समाप्त होते ही छठ पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है. लोग छठ पूजा के लिए खरीदारी करने के लिए बाजारों में निकल पड़ते हैं. वहीं, कार्तिक मास में मनाया जाने वाला छठ पूजा में सभी नए चीजों का प्रयोग होता है, जिसमें मौसमी फल, आलता पत्र, दौरा, कलसूप सहित सभी नवनिर्मित चीज का प्रयोग किया जाता है.
छठ पूजा में 56 प्रकार के सामग्री का प्रयोग किया जाता है. जिसमें आलता पत्र एक प्रमुख चीज है. जिसकी इस छठ पूजा में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसको घरों के दरवाजे, खिड़कियां और दीवारों पर लगाया जाता है.
बड़ागोपाल गांव के लोग बनाते हैं आलता पत्र
आलता पत्र छपरा जिले के कुछ विशेष स्थानों पर ही बनाया जाता है और इसके बनाने की लंबी प्रक्रिया होती है. इसको काफी पहले से ही बनाना शुरू कर दिया जाता है. छपरा जिले के बड़ागोपाल गांव में इस आलता पत्र का घर घर में निर्माण किया जाता है. यह यहां का कुटीर उद्योग के रूप में जाना जाता है.
बड़ागोपाल और झौआ गांव में व्यापारी काफी पहले से ही ऑर्डर दे देते हैं और इसका निर्माण होने पर उनको भेज दिया जाता है. इस आलता पत्र को पूरे देश में, जैसे कोलकाता, मुंबई, बनारस और अन्य जगहों पर भी भेजा जाता है.