छपराः बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब से मौतका सिलसिला जारी है. कल शाम जिले के गड़खा थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की मौत हुई थी और आज मरहौरा के 7 व्यक्ति की मौत (People Suspected Death In Saran) की सूचना है. हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. घटना मरहौरा थाना क्षेत्र (Marhaura Police Station) के भुआलपुर गांव में हुई है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है. लेकिन कोई भी कुछ नहीं बोलने को तैयार है.
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सदर अस्पताल पहुंचे वरीय अधिकारीःइस घटना की जानकारी के बाद पुलिस प्रशासन के वरीय अधिकारी छपरा सदर अस्पताल पहुंच चुके हैं. जो बीमार लोगों से पूरी जानकारी ले रहे हैं. वरीय अधिकारी लोगों से जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे और किस प्रकार उन्होंने क्या पिया है, जिसके कारण उनकी हालत बिगड़ी है. इससे पहले भी 3 अगस्त को जिले में शराब पीने से 11 लोगों की मौत और 16 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए थे. जिले में शराब पीने से मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि शराब पीने के बाद अचानक लोगों की तबीयत खराब होने लगी. घरवाले कुछ समझ पाते, इसके पहले दो लोगों की मौत हो गई. हादसे के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मचा हुआ है.
"चार दिन पहले शराब पीएं थें, तीन दिन से उल्टी हो रहा है रुक ही नहीं रहा है. आज सुबह से थोड़ा रुका है. तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी. चक्कर आने लगा तो इलाज के लिए लेकर आएं हैं"- परिजन
"अभी तक पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकिन लक्षण में आंख का एक जगह होना और इनकी हिस्ट्री से लगता है कि शराब इन लोगों ने पी है. हमने गांव में एंबुलेंस भेजी है ताकिऔर जो लोग भी बीमार हैं, उन्हें जल्द अस्पताल लाया जा सके. दो लोगों की मौत हुई और बाकि का इलाज किया जा रहा है, अगर स्थिति ठीक नहीं रही तो पटना रेफर किया जाएगा"- सागर दुलाल सिन्हा, सीएस, छपरा
शराबंदी पर उठ रहे हैं सवालःमालूम हो कि इससे पहले 3 अगस्त को मकेर में कई लोगों की शराब पीने से मृत्यु हुई थी. ऐसे मामले में कई बार पुलिस पल्ला झाड़ते नजर आई है, जिसको लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. मकेर की घटना को लेकर भी लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में जहरीली शराब के सेवन से करीब 173 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2022 में बिहार के बक्सर, सारण और नालंदा जिलों में बैक टू बैक घटनाओं में 36 लोगों की मौत हुई थी. ये घटनाएं साबित करती हैं कि बिहार में शराबबंदी विफल है, लेकिन सरकार इस हकीकत को स्वीकार नहीं करना चाहती.
बिहार में शराबबंदी कानून फेल :बता दें कि5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है. इस कारण से जहरीली शराब से बिहार के विभिन्न जिलों में लोगों की मौत होती रहती है. यह पहली बार नहीं है, जब जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जहरीली शराब से हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है. क्या वह शराब माफिया जो जहरीली शराब बेच रहे हैं या वह प्रशासन जिनकी मिलीभगत से शराब जिलों में बेची जा रही है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सिर्फ चौकीदार या थाना प्रभारी ही कैसे हो सकता है, जिन्हें शराब से मौत के मामले में अक्सर दोषी पाकर सस्पेंड कर दिया जाता है.
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