छपरा: भोजपुरी के शेक्सपियर (Shakespeare of Bhojpuri) कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) की शनिवार को 50वीं पुण्यतिथि (Death Anniversary) है. इस अवसर पर उनकी जन्मस्थली कुतुबपुर और छपरा के एंट्री प्वाइंट भिखारी ठाकुर चौक पर उनकी प्रतिमा पर स्थानीय बुद्धिजीवियों समेत गणमान्य नागरिकों ने अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया.
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इस अवसर पर उनके शिष्य रहे रामचंद्र मांझी, विधान पार्षद वीरेंद्र नारायण यादव जयप्रकाश विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रोफेसर लाल बाबू यादव सहित गणमान्य व्यक्तियों ने माल्यार्पण किया. लेकिन इस अवसर पर छपरा जिला प्रशासन के द्वारा इस महान शख्सियत की उपेक्षा की गई.
छपरा जिला प्रशासन का कोई भी वरीय अधिकारी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ, केवल जिला प्रशासन की तरफ से मात्र एसडीएम स्तर के एक अधिकारी ने पुष्पांजलि अर्पित की.
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वहीं इस अवसर पर भिखारी ठाकुर के शिष्य रहे रामचन्द्र मांझी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. जबकि जदयू के विधान पार्षद वीरेंद्र नारायण यादव से जब यह पूछा गया कि उनके गांव जाने वाली सड़क और उनके घर परिवार की स्थिति काफी खराब है तो वह कोई उत्तर नही दे सके. जबकि प्रोफेसर लाल बाबू यादव ने कहा कि छपरा एक ऐसा शहर है जिसमें भिखारी ठाकुर की प्रतिमा शहर के एंट्री प्वाइंट पर लगी हुई है यह अपने आप में काफी अद्वितीय है.
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भिखारी ठाकुर लगभग 84 वर्ष तक जीवित रहे. 10 जुलाई 1971 को इस महान कलाकार का देहावसान हुआ. छपरा शहर के प्रवेश द्वार तेलपा में समाजियों के साथ प्रस्तुति देते हुए उनकी प्रतिमा लगाई गई है. आज देश भर में उनके सम्मान में सैकड़ों की संख्या में आयोजन हो रहे हैं. उनके नाटकों एवं साहित्य पर शोध कार्य हो रहा है.
हाल ही में भारत सरकार के संगीत नाटक अकादमी ने उनके नाटय मंडली के जीवित कलाकार रामचंद्र मांझी को भोजपुरी नाट्क के क्षेत्र में संगीत नाट्क अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की है. आरा शहर, कुतुबपुर आदि स्थानों पर उनकी मूर्तियां लग चुकी हैं. भिखारी ठाकुर अब सारण के सांस्कृतिक चेहरा एवं आदर्श बन चुके हैं.