बिहार

bihar

ETV Bharat / state

छपरा: बदहाल हुआ देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद का स्कूल, बुनियादी सुविधाएं हैं नदारद

हर साल डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती के मौके पर विद्यालय प्रशासन की ओर से एक परिचर्चा का आयोजन किया जाता है. लेकिन विद्यालय के शिक्षक बताते हैं कि यह बस खानापूर्ति के लिए किया जाता है.

By

Published : Dec 3, 2019, 2:06 PM IST

pathetic condition of zila school in chhapra
जिला स्कूल छपरा

छपरा:स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति और देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने जिला मुख्यालय स्थित जिला स्कूल से अपनी मैट्रिक तक की पढ़ाई की हैं. उनको शिक्षा देने वाला यह स्कूल अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. जहां स्कूल में बुनियादी शिक्षा की सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है.


इतना ही नहीं बल्कि इस विद्यालय के कई भवन शिक्षा विभाग के कब्जे में हैं. स्कूल प्रशासन की ओर से विभाग को कई बार आवेदन भी दिया चुका है. लेकिन आज तक यह स्कूल अतिक्रमण मुक्त नहीं हो सका है.

छपरा का जिला स्कूल

स्कूल की हालत है खराब
जिला स्कूल के परिसर में जिला कम्प्यूटर सोसायटी और नव पदस्थापित उच्च विद्यालय चलाया जाता है. इसके अलावा जिला प्रशासन ने परिसर में एक पार्क का भी निर्माण कराया है. लेकिन फिर भी स्कूल की हालत खराब है. कहने के लिए स्कूल में सैकड़ों छात्रों ने नामांकन करा रखा है पर स्कूल आते कुछ ही हैं.

स्कूल में बुनियादी सुविधा हैं नदारद
हर साल डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती के मौके पर विद्यालय प्रशासन की ओर से एक परिचर्चा का आयोजन किया जाता है. लेकिन विद्यालय के शिक्षक बताते हैं कि यह बस खानापूर्ति के लिए किया जाता है. शिक्षकों का कहना हैं कि वह इस विद्यालय को एक धरोहर के रूप में देखते हैं. लेकिन स्कूल में बुनियादी सुविधा ही नदारद हैं.

जिला स्कूल में बुनियादी सुविधाएं हैं नदारद

आठवीं वर्ग से सीधा नौवीं में किए गए प्रमोट
बता दें कि जिला स्कूल में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नामांकन वर्ष 1893 में आठवें वर्ग में हुआ था. जो उस वक्त का प्रारंभिक वर्ग था. आठवीं वर्ग से उतीर्ण करने के बाद स्कूल में आगे के वर्ग में नामांकन के लिए एंट्रेस परीक्षा देनी होती थी. डॉ. राजेंद्र प्रसाद इतने कुशाग्र बुद्धि के थे की उन्हें आठवीं वर्ग से सीधे नौवीं वर्ग में प्रोन्नति कर दिया गया था. वहीं, 1902 में उन्होंने जिला स्कूल के जरिए ही परीक्षा दी थी. जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आसाम, बर्मा और नेपाल में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने प्रान्त का नाम रौशन किया था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details