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सारण में पोषण मेला का आयोजन, बेहतर स्वास्थ्य के लिए किया गया जागरूक - Awareness for better health in nutrition fair

सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने बताया कि भारत सरकार के दिशा निर्देश में पूरे देश में सितंबर महीने को पोषण महीने के रूप में मनाया जा रहा है. इसके अंतर्गत स्थानीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.

पोषण मेला

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Published : Sep 28, 2019, 12:38 PM IST

सारण:जिले केसदर प्रखंड के बाल विकास परियोजना कार्यालय में पोषण मेले का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन एसडीओ संजय कुमार और बाल विकास परियोजना अधिकारी ने दीप प्रज्जवलित कर किया. जिसमें नवजात शिशु और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाव की जानकारी दी गई.

भारत सरकार ने पोषण के पांच सूत्र के माध्यम से 1 सितंबर से 30 सितंबर तक कुपोषण मुक्त भारत बनाने का अभियान चलाया है. जिसमें कुपोषण को दूर भगाने के लिए जागरूक किया गया. ताकि एक बेहतर स्वास्थ्य का निर्माण हो सके. इस अवसर पर महिला पर्यवेक्षिका स्मिता प्रिया, शांति कुमारी और शर्मिला कुमारी, चंचल कुमारी के साथ कई आंगनवाड़ी सेविका मौजूद रहीं.

पोषण मेले में महिलाओं और बच्चों को किया गया जागरूक

राज्य सरकार भी कर रही सहयोग
सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने बताया कि भारत सरकार के दिशा निर्देश में पूरे देश में सितंबर महीने को पोषण महीने के रूप में मनाया जा रहा है. इसके अंतर्गत स्थानीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. राज्य सरकार भी कुपोषण को जड़ से मिटाने के लिए भारत सरकार का सहयोग कर रही है. जिसके लिए बिहार के सभी जिलों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का कार्य आंगनवाड़ी सेविकाएं कर रही हैं.

दवाइयां कराई गईं उपलब्ध

दवाइयां और पौष्टिक आहार कराए गए उपलब्ध
पोषण मेले में स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस की ओर संयुक्त रूप से स्टॉल लगाए गये थे. स्वास्थ्य विभाग के स्टॉल पर गर्भवती महिलाओं और किशोरियों के लिए आयरन और फॉलिक एसिड की गोली, बच्चों के लिए आयरन का सिरप सहित कई तरह की दवाइयां उपलब्ध कराई गईं. वहीं आईसीडीएस के स्टॉल पर पौष्टिक आहार खीर, हलवा, खिचड़ी, फल, हरी सब्जी भी उपलब्ध कराई गई. गर्भवती महिलाओं को यह जानकारी भी दी गई कि पौष्टिक आहार के रूप में 6 महीने तक बच्चे को केवल मां का दूध और उसके बाद ऊपरी आहार दिया जाना चाहिए. क्योंकि बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं, जिनको सही समय पर जानकारी नहीं मिलने के कारण एनीमिया की शिकायत हो जाती है. जिसका असर उनके होने वाले बच्चों के उपर पड़ता है.

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