सारण: जिले में आज भी एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जहां यात्रियों के लिए बुनियादी सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है. ना तो पीने को पानी है और ना ही शौचालय है. दरअसल, सारण के मांझी रेलवे स्टेशन में बिजली नहीं है. जिस कारण यहां आज भी प्रिंटेड रेल टिकट नहीं मिलती है. स्टेशन में यात्रियों के लिए बैठने, रुकने तक भी व्यवस्था नहीं है.
बलिया छपरा रेलखंड का मांझी रेलवे स्टेशन महज एक कमरे में चल रहा है. यात्रियों के साथ-साथ किसी अधिकारी या कर्मचारी को रहने के लिए आवास की समुचित व्यवस्था है, न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था है. सुरक्षा के नाम पर दो आरपीएफ के जवानों की तैनाती की गई हैं, लेकिन वह भी नाम के लिए ही हैं.
मांझी रेलवे स्टेशन की बदहाली अंग्रेजों के जमाने का रेलवे स्टेशन है
पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर व वाराणसी रेल मंडल के अधीन आने वाले इस मांझी रेलवे स्टेशन पर पहुंचे यात्रियों का कहना था कि मांझी स्टेशन आज भी आजादी के समय का रेल परिसर बना हुआ है. 70 सालों तक इस स्टेशन पर किसी तरह की कोई व्यवस्था यात्रियों के लिए नहीं की गई है. जबकि छपरा जंक्शन के बाद मांझी स्टेशन से सबसे ज्यादा राजस्व की वसूली होती है. यह स्टेशन बिहार व यूपी को जोड़ता है.
बोले रेलवे स्टेशन कर्मचारी
मांझी रेलवे स्टेशन के कर्मचारी मुज्जमिल हुसैन ने बताया कि बिजली के नहीं रहने के कारण प्रिंटिंग मशीन नहीं लगी है. मांझी स्टेशन पर आज भी पुराने दौर वाला टिकट मिलता है, जबकि आज ज्यादातर स्टेशनों में कंप्यूटरकृत टिकट ही चलता है. हालांकि कुछ टिकट सुरेमनपुर से खरीद कर लाते हैं और उस पर यहां का मोहर लगाने के बाद ही यात्रियों को देते हैं. हालांकि केंद्र व राज्य सरकार यह दावा करती हैं कि बिहार के प्रत्येक गांव में बिजली पहुंचा दी गई है. लेकिन मांझी रेलवे स्टेशन उनके दावों की पोल खोलता है.