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Sindur Khela : महिलाओं ने निभाई बंगाल की पारंपरिक 'सिंदूर खेला' की रस्म, छपरा में मां दुर्गा को ऐसे दी जा रही विदाई

Chapra Kalibari छपरा के कालीबाड़ी में आज परंपरा के अनुसार सिंदूर खेला (Sindoor Khela In Chapra Kalibari) के साथ ही माता रानी को विदाई दी गई. बंगाली समाज की सबसे बुजुर्ग महिला के द्वारा मां दुर्गा को सिंदूर लगाकर और खोईंचा देकर विदा किया गया.

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 24, 2023, 12:33 PM IST

Updated : Oct 24, 2023, 1:09 PM IST

सिंदूर खेला के साथ हुई माता की विदाई
सिंदूर खेला के साथ हुई माता की विदाई

महिलाओं ने निभाई बंगाल की पारंपरिक 'सिंदूर खेला' की रस्म

छपराः बिहार के छपरा के कालीबाड़ी में आज माता को विदाई दी गई. माता का पूजन और हवन किया गया उसके बाद पुष्पांजलि का कार्यक्रम किया गया. इसके बाद बंगाली रीति रिवाज के अनुसार माता की विदाई की गई. बंगाली समाज की सबसे बुजुर्ग महिला ने माता को सिंदूर लगाकर और खोईंचा देकर विदा किया.

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छपरा के कालीबाड़ी में सिंदूर खेला का आयोजनः बंगाली समाज की मान्यता के अनुसार उस बुजुर्ग महिला ने अन्य महिलाओं को भी सिंदूर लगाया और उसके बाद सभी महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला का आयोजन किया. बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा एक विशेष प्रकार की आवाज उलू निकाली जाती है, जिसे प्रत्येक शुभ अवसर पर किया जाता है.

मां दूर्गा को सिंदूर लगाती महिलाएं

यहां बंगाली रीति रिवाज से होती पूजाः दुर्गा माता की विदाई और सिंदूर खेला के समय बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा उल्लू निकाला गया और एक दूसरे को जमकर सिंदूर लगाया गया. गौरतलब है कि छपरा कालीबाड़ी बिहार के प्राचीन कालीबाड़ी में से एक है और यहां पर 101 साल से माता की स्थापना होती है और बंगाली रीति रिवाज के अनुसार विधिवत ढंग से पूजा होती है.

"यहां हर साल इसका आयोजन किया जाता है. हमलोग मान्यता के अनुसार दुर्गा माता की विदाई करते हैं और फिर उसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाते हैं. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. हमारे यहां ऐसा करना शुभ माना जाता है"- बंगाली महिला

एक दूसरे को सिंदूर लगाती बंगाली महिलाएं

1922 से ही बांग्ला रीति रिवाज से हो रही पूजाःहर साल प्रत्येक श्याम ढाक और ढोल की थाप पर विशेष आरती का आयोजन किया जाता है, आपको बता दें कि बिहार के सबसे प्राचीन छपरा कालीबाड़ी में साल 1922 से ही बांग्ला रीति रिवाज से मां दुर्गा की पूजा की जाती है. इसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग उमड़ते हैं. इस बार भी यहां दूर्गा पूजा के दौरान काफी उत्साह रहा. लोगों ने पूरे धूम-धाम से 9 दिनों तक माता की आरती की और और आज उन्हें विदाई दी गई.

Last Updated : Oct 24, 2023, 1:09 PM IST

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