सारण : बिहार के सारण में मोहर्रम जिले भर में अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया. या हुसैन के नारों के साथ शहर की हर गली गूंज उठी. शिया समुदाय ने जहां कर्बला में शहीद हजरत इमाम हुसैन सहित 72 साथियों का मातमी जुलूस निकालकर शोक प्रकट किया, वहीं सुननी समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकालकर पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे और हजरत अली के बेटे हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर खराज-ए-अकीदत पेश किया.
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Muharram 2023 : सारण में हुआ जंजीरी मातम.. या हुसैन के नारों से गूंजा छपरा - सारण में मोहर्रम का मातमी जुलूस
बिहार के सारण में मोहर्रम का मातमी जुलूस निकाला गया. जंजीरी जुलूस में सभी लहुलूहान हो गए. जिन रास्तों से जुलूस निकाला जा रहा था वहां से या हुसैन के नारों से गली गूंज उठी.
छपरा में निकला ताजिया जुलूस: गौरतलब है की शिया समुदाय का जुलूस दहियावा छोटा इमामबाड़ा से निकाला गया जो महमूद चौक, शिया मस्जिद, महमूद चौक, थाना चौक, सोनरपट्टी होते हुए बूटन बाड़ी, कर्बला तक गया. जुलूस में कर्बला में शहीद हजरत इमाम हुसैन के ताबूत के साथ उनके छोटे भाई, हजरत अब्बास का अलम ए मुबारक प्रतिक भी था. वहीं बुजुर्ग से लेकर बच्चे वा नौजवान जंजीरी मातम कर दुनिया को ये बता रहे थे की काश हम सब कर्बला में होते तो 72 शहीदों के साथ अपनी कुर्बानी देते.
इमाम हुसैन की शहादत से मिली सीख: शहर के चौक चौराहे पर रुककर मौलाना मोहर्रम के इतिहास पर प्रकाश डाल रहे थे. मौलाना डॉक्टर मासूम रजा ने कहा कि कर्बला में यजीद और इमाम हुसैन की जंग जो हुई उसकी मिशाल पूरी दुनिया में देखने को मिली.
जान दे दी लेकिन सिर नहीं झुकाया : इंसानियत की रक्षा और दीन ए इस्लाम को बचाने के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपनी शहादत कबूल की, मगर यजीद के आगे अपना सर नहीं झुकाया. जुलूस में विदेश से आए हुए भी लोग मौजूद थे. जुलूस में तारा भाई, डॉक्टर असकरी रजा, शकील हैदर, बबलू राही, गुड्डू, समीर आदि ने अपना कलमा पढ़ कर मातम कराया. जुलूस में हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे. मोहर्रम के अवसर पर प्रशासन भी मौजूद थी.