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सारण: बाढ़ में बह गई तालाब की मछलियां, सरकार से मदद की गुहार

बाढ़ से सारण जिले के लगभग कई प्रखंड प्रभावित हैं. आलम ये है कि कई गांव में पानी लोगों के घरों में भी घुस गया है. जिससे गांव के मछली पालक किसान काफी परेशानी में हैं. बाढ़ का पानी अचानक गांव में प्रवेश करने से उनके तालाब की सारी मछलियां बाढ़ में बह गई हैं.

सारण
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Published : Aug 22, 2020, 10:59 PM IST

सारण: बाढ़ की त्रासदी विकास के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है. जिले में किसानों के खेत और उनके मवेशी बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित हैं. इसी क्रम में बाढ़ से मछली पालक किसान भी काफी परेशान हैं. तालाब में मछली पालने वाले किसानों की मछलियां बाढ़ के पानी में बह गई हैं. जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है.

सूने पड़े तालाब

नदियों में बेतहाशा बढ़ रहे जलस्तर से बाढ़ का खतरा बना हुआ है. बाढ़ से सारण जिले के लगभग कई प्रखंड प्रभावित हैं. आलम ये है कि कई गांव में पानी लोगों के घरों में भी घुस गया है. जिससे गांव के मछली पालक किसान काफी परेशानी में हैं. बाढ़ का पानी अचानक गांव में प्रवेश करने से उनके तालाब की सारी मछलियां बाढ़ में बह गई हैं.

खाली हुए बॉयो फ्लाक

बाढ़ से मछली पालक प्रभावित
मछली पालक किसान रामजीवन साहनी ने बताया कि बाढ़ का पानी इतना तेज था कि उसे रोकने का कोई उपाय ही नहीं काम आया. तालाब में पानी भर गया और तालाब का तटबंध टूट गया. जिससे तालाब की सारी मछलियां बाढ़ के पानी में बह गई. बता दें कि इस तबाही ने केवल रामजीवन साहनी ही नहीं बल्कि सारण जिले के कई मछली पालक किसानों को भी प्रभावित किया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार से मदद की आस
रामजीवन साहनी ने बताया कि इस बार के बाढ़ ने लगभग आठ से नौ लाख रुपये का नुकसान किया है. मछलियों के तैयार होने से पहले ही बाढ़ का पानी तालाब में भर जाने से मछलियां तालाब से बाहर चली गईं. अब तालाब में बाढ़ के पानी के सिवा कुछ नहीं बचा है. उन्होंने बताया कि मछलियों को पालने में कई अतिरिक्त खर्चों का भी ध्यान रखना पड़ता है. इस बार मुझे कोरोना महामारी और बाढ़ की दोहरी मार पड़ी है. मुझे थोड़ी सरकारी मदद मिल जाती तो किसी प्रकार गुजर-बसर हो जाती.

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