सारण: सारण लोकसभा जो पहले छपरा के नाम से जाना जाता था. राजनीतिक रूप से यहां की जमीन काफी उर्वरक रही है. बिहार के पहले मुख्यमंत्री कृष्ण सिन्हा यहीं से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे. ये धरती जय प्रकाश नारायण की है, जिन्होंने देश में संपूर्ण क्रांति का बिगुल फूंका था. देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू की ये कर्मभूमि है. ये धरती लोकप्रिय क्रांतिकारी भोजपुरी गायक भिखारी ठाकुर के नाम से भी जानी जाती है. यहीं पर गंगा और गंडक का संगम है. ये परिवर्तन की धरती सारण है.
बीते दो दशक से यहां BJP और RJD के बीच कांटे का मुकाबला होता आ रहा है. RJD से जहां लालू यादव चुनाव लड़ते रहे हैं. वहीं BJP से राजीव प्रताप रूडी सारण के रण में उतरते रहे हैं. दिग्गजों का अखाड़ा होने के कारण इस सीट पर सबकी नजर रहती है. लालू परिवार की पारंपरिक सीट रही सारण सीट से इस रूडी के सामने छपरा के परसा से विधायक और तेजप्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय मुख्य प्रतिद्वंदि हैं. हालांकि ये सीट चंद्रिका राय को दिये जाने पर तेज प्रताप यादव ने नाराजगी भी जताई थी.
2002 में गठित भारतीय परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सारण संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का गठन हुआ. नये परिसीमन के आधार पर सारण में 2009 में चुनाव हुए. पहले यह छपरा लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. छह मुख्यमंत्री देने वाला जिला सारण 1967 के दशक में कांग्रेसियों का गढ हुआ करता था. इस गढ़ को लालू ने 1977 की जेपी लहर में ध्वस्त किया तो राजद सुप्रीमो के किले को 1996 में पहली बार पूर्व केन्द्रीय मंत्री रूडी ने तोड़ डाला. लालू प्रसाद यहां से चार बार सांसद बने. इस दौरान उन्होंने दो बार राजीव प्रताप रूडी को हराया.1989, 2004 और 2009 में लालू यादव इस इलाके से लोकसभा पहुंचे. तो वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूडी 1996,1999 और 2014 में लोकसभा चुनाव जीते.
2014 चुनाव का जनादेश
2014 में सारण सीट से बीजेपी के उम्मीदवार राजीव प्रताप रुडी जीते थे. रुडी ने लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी को हराया. चारा घोटाले में सजा होने के बाद लालू यादव की सदस्यता छिन गई, जिसके बाद राबड़ी देवी सारण से चुनाव मैदान में उतरी थीं लेकिन मोदी लहर में जीत बीजेपी के हाथ लगी. राजीव प्रताप रुडी को 3 लाख 55 हजार 120 वोट मिले थे. जबकि राबड़ी देवी को 3 लाख 14 हजार 172 वोट मिले. वहीं जेडीयू के सलीम परवेज 1 लाख 07 हजार 008 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.
हर चुनाव में यदुवंशी और रघुवंशी होते हैं आमने-सामने
यहां हर चुनाव में यदुवंशी और रघुवंशी ही आमने-सामने होते हैं। कोई तीसरे वर्ग का व्यक्ति भले ही लड़ाई को त्रिकोणात्मक बना दे लेकिन सांसद बनने का गौरव अब तक इन्हीं दोनों में से किसी एक को हासिल होता रहा है. सारण लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा 25 प्रतिशत यादव जाति के वोटर हैं. इससे बाद राजपूत 23 फीसदी, वैश्य 20 फीसदी, मुस्लिम 13 प्रतिशत, दलित 12 प्रतिशत और अन्य 7 प्रतिशत हैं. आरजेडी की नजर 'MY' समीकरण पर होती है. तो वहीं BJP को राजपूत और वैश्य वोटों का भरोसा होता है. इस क्षेत्र का जातीय समीकरण ऐसा है कि यहा मुकाबला राजपूत बनाम यादव का होता रहा है.
मतादाताओं की संख्या
सारण लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 15 लाख 38 हजार 744, पुरुष मतदाता 8 लाख 33 हजार 361 हैं, जबकि महिला मतदाता 7 लाख 5 हजार 383 हैं वहीं, थर्ड जेंडर के मतदाताओं की संख्या 27 है.
छह विधानसभाओं को समेटे हुए है सारण
सारण जिले में यूं तो 10 विधानसभा क्षेत्र हैं लेकिन यहां के चार विधान सभा इलाके के वोटर महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनने में भागीदारी निभाते हैं। ऐसे में सारण लोकसभा क्षेत्र छह विधानसभा क्षेत्रों को ही समेटे हुए है। इन छह विधान सभा क्षेत्रों का भौगोलिक रूप से राजनीतिक परिदृश्य यह है कि परसा, सोनपुर, गड़खा और मढौरा में राजद का कब्जा है जबकि अमनौर और छपरा सदर की सीट भाजपा के कब्जे में है।