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गरीब बच्चों के बीच पढ़ाई की अलख जगा रही हैं कुमारी अनिशा, देती हैं निःशुल्क शिक्षा - पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया

अनिशा जहां निःशुल्क शिक्षा केन्द्र चलाती हैं, वहां महिलावर्ग की संख्या ज्यादा है. ऐसे में वे उन्हें शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के प्रति भी जागरूक करती हैं.

kumari anisha of chhapra
छपरा की कुमारी अनीषा

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Published : Dec 31, 2019, 5:24 PM IST

सारण:छपरा में 'पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया' मुहिम के तहत कुमारी अनिशा गरीब बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रही हैं. वे बच्चों को अपनी सहपाठी ममता के साथ पिछले तीन वर्षों से लगातार निःशुल्क शिक्षा दे रही हैं. बता दें कि अनिशा जिले के जगदम महाविद्यालय की छात्रा हैं. जिन्हें साल 2017-18 में समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार मिल चुका है. यह पुरस्कार उन्हें इसी साल सितंबर के महीने में मिला है.

कई कार्यक्रमों में रह चुकीं हैं सक्रिय
छपरा के मौना पकड़ी निवासी उमेश चंद्र मिश्रा एवं सुनीता मिश्रा की द्वितीय पुत्री अनिशा शुरू से ही पढ़ाई के साथ-साथ समाज सेवा और अपनी संस्कृति के प्रति निष्ठावान रही हैं. स्कूली शिक्षा के दौरान वे भारत स्काउट्स एण्ड गाइड से जुड़ी. साथ ही वे जगदम कॉलेज में एनएसएस कैडेट के रूप में विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय रह चुकी हैं. स्वच्छता अभियान हो या पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण हो या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, हर तरह के कार्यक्रमों में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया हैं.

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'अशिक्षा को सुधारने की है जरूरत'
अनिशा समाजिक कार्यों के साथ-साथ कथक नृत्य भी करती हैं. जिन्हें जिले से राज्य तक हर छोटे-बड़े मंचो पर प्रस्तुति के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है. अनिशा जहां निःशुल्क शिक्षा केन्द्र चलाती हैं, वहां महिलावर्ग की संख्या ज्यादा है. ऐसे में वे उन्हें शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के प्रति भी जागरूक करती हैं. अनिशा बताती हैं कि समाज की सबसे बड़ी समस्या अशिक्षा है और इसको सुधारने की बहुत जरूरत है. इसी संकल्प के साथ उन्होंने 3 साल पहले अपने मोहल्ले में पिपल पेड़ के नीचे एक छोटे से जगह पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया.

गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती हैं अनीषा

'अभिभावक समझने को नहीं थे तैयार'
अनीषा बताती हैं कि पढ़ाई को लेकर बच्चों के अभिभावकों को समझाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने सहयोग करना शुरू किया और आज वहां 30 से 40 बच्चे रोज शाम 4 से 6 बजे तक पढ़ने आते हैं. अनीषा ने अपनी सहपाठी ममता के साथ मिलकर बच्चों को पढ़ाती हैं.

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