सारण (छपरा):लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा ( Chhath Puja 2021 ) के तीसरे दिन बुधवार को जिले के विभिन्न तालाब और नदियों के घाट पर विधि विधान पूर्वक छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की पूजा आराधना की. जिसके बाद व्रतियों ने कोसी भर छठ मईया से अपनी मुरादें मांगी. आस्था और विश्वास के इस सूर्योपासना पर्व के बारे में व्रतियों ने बताया कि छठ अशुद्धियों का त्याग कर शुद्धता को अपनाने का पर्व है.
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बात दें कि छठ महापर्व के दौरान व्रतियां कोसी (हाथी) भरने की भी परंपरा निभाते हैं. खासकर जोड़े में कोसी भरने को बेहद शुभ माना गया है. मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति मन्नत मांगता है, जिसके पूरे होने पर उसे कोसी भरना पड़ता है. सूर्य षष्ठी की शाम को सूर्य अर्घ्य के बाद घर के आंगन या छत पर कोसी पूजन करना बेहद शुभ और श्रेयकर माना गया है.
लोक आस्था का महापर्व छठ ही ऐसा पर्व है जिसमें कोसी (हाथी) भरने की परंपरा है. इसमें मिट्टी के बने हाथी पर दीये बने होते हैं. कोई हाथी 6 दीए का रहता है तो कोई 12 दीए का और कोई 24 दीए का. हाथी को लोग पहले अर्घ्य के बाद अपने घर के आंगन या छत में भरते हैं. फिर अगली सुबह दूसरे अर्घ्य के बाद मिट्टी के हाथी को जल में विसर्जित कर दिया जाता है.