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वो भी एक दौर था जब बिहार की इन बासुंरी की गूंज केरल में भी सुनाई पड़ती थी, और अब...

बांसुरी बनाने के काम में निपुण मढ़ौरा पकहा, मिर्जापुर और आसोईया के तकरीबन 100 परिवार लॉकडाउन के समय से ही आर्थिक तंगी झेल रहे हैं. मढ़ौरा में बाढ़ आने से पकहा बस्ती में बांसुरी बनाने वाले परिवारों का घर बाढ़ के पानी में डूब चुका है. जिससे लोग परेशान हैं.

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Published : Sep 1, 2020, 6:23 PM IST

सारणः मढ़ौरा में बनने वाली बांसुरी की तान बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि केरल सहित अन्य राज्यों में भी गूंजती थी. लेकिन लॉकडाउन और बाढ़ से प्रभावित होने की वजह से इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर माह में तैयार होकर दूसरे राज्य में जाने वाली बांसुरी इस बार ग्रहण लग चुका है. साथ ही बांसुरी बनाने वाले परिवार के लिए बांसुरी की तान की तरह जिंदगी बिखर चुकी है.

पेश है खास रिपोर्ट

बांसुरी बनाने वालों पर पड़ी लॉकडाउन की मार
बांसुरी बनाने के काम में निपुण मढ़ौरा पकहा, मिर्जापुर और आसोईया के तकरीबन 100 परिवार लॉकडाउन के समय से ही आर्थिक तंगी झेल रहे हैं. अब आलम यह है कि मढ़ौरा में बाढ़ आने से पकहा बस्ती में बांसुरी बनाने वाले परिवारों का घर बाढ़ के पानी में डूब चुका है. जिससे बांसुरी बनाना तो दूर, लोग रहने के लिए उचित स्थान व रेलवे स्टेशन पर रैन बसेरा बनाए हुए हैं.

बांसुरी और खिलौने

मालूम हो की कई दशकों से यह परंपरागत तौर पर बांसुरी बनाकर ट्रेन व अन्य संसाधनों से दूसरे प्रदेशों में जाकर रेलवे स्टेशन मेला, बाजार, शॉपिंग मॉल, बस स्टेशन इत्यादि जगहों पर घूम-घूम कर बेचते हैं. जिससे इनका परिवार चलता है.

बांसुरी

बांसुरी बनाने वाले कारीगर परेशान
मिर्जापुर में बांसुरी बनाने वाले परिवारों ने बातचीत के दौरान बताया कि दिसंबर जनवरी में ही नरकट काट कर रखे गए थे. जिसके तुरंत बाद मार्च में लॉकडाउन लागू हो गया और प्रदेश में रह रहे लोग किसी तरफ पैदल ट्रक व अन्य माध्यमों से किसी तरह घर पहुंचे. जिसके बाद परिवार की स्थिति बिगड़ने लगी. साथ ही काट कर रखे गए नरकट भी बरसात के पानी में सड़ गए. अब उस नरकट से बांसुरी बनाना नामुमकिन हो गया है.

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