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बाढ़ की विभीषिका: फोम की नाव के सहारे आवाजाही करने को मजबूर हैं लोग

कोरोना संक्रमण के बीच बाढ़ के कारण बिहार दोहरी मार झेल रहा है. लोगों की परेशानी दोगुनी हो गई है. ऐसे में सरकारी मदद नाकाफी साबित हो रही है.

फोम की नाव के सहारे आवाजाही कर रहे लोग
फोम की नाव के सहारे आवाजाही कर रहे लोग

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Published : Aug 20, 2020, 6:14 PM IST

सारण:कोरोना काल में बाढ़ के कारण लोगों की परेशानी काफी बढ़ी हुई है. उनके सामने खाने-पीने का संकट आन पड़ा है. वे किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं. लोग फोम की नाव के सहारे आवाजाही कर रहे हैं. सारण-परसा बनकेरवा पथ पर दो दिनों पहले बाढ़ का कहर ऐसा हुआ कि पुलिया पानी में बह गया. इस कारण कई गांवों को जोड़ने वाले इस रास्ते से आवागमन बाधित हो गया.

फोम की नाव के सहारे आवाजाही कर रहे लोग

बाढ़ के कहर ने परसा प्रखंड के माड़र पंचायत के कई सड़क, पुल-पुलिया और मकानों को ध्वस्त कर दिया है. आलम यह है कि परसा बनकेरवा से मुंशीलाल कॉलेज के पास होकर गुजरने वाली सड़क को बाढ़ ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. लोगों की मानें तो परसा बनकेरवा पथ पर कट्टा गांव के पास पुलिया पानी में बह जाने से लोगों को आने-जाने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

बाढ़ के कारण बढ़ी परेशानी

जुगाड़ की नाव आ रही काम
स्थानीय लोगों ने बताया कि सरकार कुछ मदद नहीं कर रही है. घर जाना जरूरी है. ऐसे में वे फोम की नाव के सहारा यातायात कर रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों की मानें तो जुगाड़ की नाव ही काम आ रही है. वे फोम की नाव पर बाइक लादकर घर जाते हैं. लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है. 50 रुपये देकर वे नाव से आवागमन कर रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

बाढ़ पीड़ितों का दर्द
लोगों का कहना है कि अगर सरकार चाहती तो यहां ईंट भरवा सकती थी. जिससे ग्रामीण आसानी से आ-जा सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. सरकार तो हम लोगों को मारने की साजिश कर रही है. फोम की नाव का इस्तेमाल खतरनाक जरूर है, लेकिन उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. अस्पताल जाना हो तो एकमात्र यही रास्ता है. ग्रामीणों ने सरकार से जल्द से जल्द पुल और सड़क की मरम्मती की मांग की है.

बाढ़ के कारण जन जीवन प्रभावित

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