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सारण: कोरोना से जंग जीत घर लौटा युवक, लोगों को कर रहा जागरूक - Increasing effects of corona infection

कोरोना से जंग जीतने वाले जिले के पहले मरीज अहमद अली ने लोगों को कोरोना संक्रमण से बचने का उपाय बताया. उसने लोगों को सतर्क रहने के साथ-साथ मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा.

first patient of the district who won the war from Corona made people aware of the infection in saran
first patient of the district who won the war from Corona made people aware of the infection in saran

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Published : Jul 19, 2020, 10:32 PM IST

सारण(छपरा): कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को लेकर राज्य सरकार और जिला प्रशासन सतर्क है. जिला प्रशासन की ओर से लगातार जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. वहीं, जिले में सबसे पहले 2 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए जाने वाले मरीज अहमद अली ने लोगों को कोरोना संक्रमण से बचने और दूसरों को बचाने को लेकर जागरूक किया.

अहमद अली ने बताया कि कोरोना वायरस से बचना है तो हमें सतर्क रहना होगा. साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम करें, घर का बना खाना खाएं और जंक फूड से दूरी बनाकर रखें. मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. इससे आप खुद को और दूसरों को कोरोना के संक्रमण से बचा पाएंगे.

समझदारी और सझ-बूझ से परिवार को संक्रमित होने से बचाया

इसके अलावा अहमद अली ने अपने स्वस्थ होने को लेकर बताया कि जब वो इंग्लैंड से लौटा था तो लौटने के बाद खुद को परिवार से दूर रखकर 14 दिनों तक होम क्वारंटीन में बिताया. जिसके बाद उनका सैंपल लिया गया और उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. जिसके बाद उसे आइसोलेशन सेंटर में भर्ती करवाया गया और उसके परिवार के सभी सदस्यों को क्वारंटीन कर दिया गया. हालांकि उसके परिवार के सभी सदस्यों की रिपोर्ट नेगेटिव आई. अहमद अली की समझदारी और जागरुकता की बदौलत उसका पूरा परिवार संक्रमित होने से बच गया.

अत्मविश्वास बढ़ाने के कारण संक्रमण से उबरने में रहा सफल

अहमद अली को करीब 12 दिनों तक आइसोलेशन सेंटर पर रखकर बेहतर उपचार किया गया. इस दौरान डॉक्टर और उसके परिवार के सदस्यों ने उसका काफी हौसला बढ़ाया. जिसके बदौलत अहमद अली कोरोना को मात देकर आज पूरी तरह से स्वस्थ है. वहीं, अहमद अली ने बताया की आईलेशन सेंटर में भर्ती के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों ने उसका काफी ख्याल रखा. उसके घर में छह माह की एक छोटी बच्ची थी और 97 साल के दादा थे. उनको भी क्वारंटीन सेंटर में समय पर दूध और फल मिलता रहा था. वो आइसोलेशन सेंटर की व्यवस्था देख कर वह बहुत खुश हुआ था. प्रशासनिक अधिकारी और उसके परिवार के लोगों ने आत्मविश्वास बढ़ाया, जिससे वो कोरोना संक्रमण से उबरने में सफल रहा.

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