सारण: छपरा और सिवान जिले के सीमाक्षेत्र में फैले बहियारा चंवर में जलजमाव एक बार फिर किसानों के लिए मुश्किल खड़ा कर दिया है. चंवर के तराई क्षेत्र में जलजमाव होने से रवि फसल पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. यह चंवर लगभग तीन हजार एकड़ भूमि में फैला है. यहां सालभर जलजमाव से भगवानपुर, छपरा के बनियापुर, मशरक प्रखंड के 32 गांवों के हजारों किसान पिछले पांच दशक से जलप्लावन और फसलों की बर्बादी झेल रहे हैं.
किसानों की माने तो इस विशाल भूखंड से जल निकासी की व्यवस्था होती तो यहां दलहन, तेहलन, रबी फसलों के अलावे सब्जियों की भी काफी पैदावार होती. साथ ही स्थानीय किसानों को काम की तलाश में नहीं भटकना पड़ता. राज्य सरकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन में जुटी है, लेकिन जिले के किसानों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रही है.
जलजमाव से किसानों की बढ़ी बेचैनी जलजमाव की भेंट चढ़ जाती है फसल
चंवर के निकट बसे गांव के लोगों की परेशानी उस समय और अधिक बढ़ जाती है, जब घघरी नदी का जल स्तर बढ़ जाता है. जलस्तर बढ़ने के साथ ही हजारों एकड़ की फसलें जलजमाव का भेंट चढ़ जाती है. चवंर के परिधि क्षेत्र में बनियापुर प्रखंड के कल्याणपुर, नजीबा, मानोपाली, धवरी, रामनगर, पिपरपांती, कटसा, पिपरा, पिंडरा, मशरक प्रखंड के धवरी गोपाल, मदारपुर, सनकौली, कोर्रांव, कुईंया टोला सहित बत्तीस गांव इस जलजमाव से प्रभावित है. यहां के किसान राम भरोसे ही खेती करते है.
कार्रवाई नहीं होने से निराश हुए किसान
स्थानीय लोगों ने बताया कि वर्ष 81 में नगर विकास और पर्यटन विकास विभाग के तत्कालीन राज्यमंत्री को समस्या से अवगत कराया गया. इसके बाद 11 अक्टूबर 1996 में तत्कालीन विधायक, गंडक विभाग के कार्यपालक अभियंता, तत्कालीन मुख्यमंत्री , तत्कालीन कृषिमंत्री, 1 नवंबर 1996 को जलसंसाधन विभाग के संयुक्त सचिव सहित कई अधिकारियों को समस्या के निदान के लिए आग्रह किया गया. लेकिन कोई कार्रवाई होते नहीं देख किसानों ने आंदोलन को विराम दे दिया.