छपराःअमनौर प्रखंड में आजकल खाद नहीं मिलने से किसान परेशान (Farmers upset in chapra) हैं. यहां खाद की कालाबाजारी (Black Marketing Of Fertilizers) हो रही है. लेकिन कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि इन किसानों की सुध लेने वाला नहीं है. कई पंचायतों के किसान खेती छोड़ने पर मजबूर हैं.
ये भी पढ़ेंःमंगोलिया के संसदीय दल ने भगवान बुद्ध को किया नमन, कहा- भारत हमारा आध्यात्मिक पड़ोसी
जिले के किसान बाढ़ की तबाही से तो परेशान थे ही अब खाद ना मिलने से बेहाल हो रहे हैं. किसान डीएपी खाद के लिए ब्लॉक से लेकर मुख्यालय तक का चक्कर काट रहे हैं. लेकिन कोई भी इनकी बात नहीं सुन रहा है. खाद की कालाबाजारी से दुकानदारों की तो चांदी कट रही है. ज्यादा दाम पर किसान को खाद मुहैया किया जा रहा है.
डीएपी का रेट सरकार ने 1250 रुपये निर्धारित किया है. लेकिन उस खाद का रेट 1800 से 2000 रुपये मनमाने ढंग से वसूला जा रहा है. जो सभी किसानों को नहीं मिल रहा है. दुकानदार किसानों को बता रहे हैं कि यह बात किसी भी अधिकारी को नहीं बताना है. नहीं तो किसी भी कीमत पर अगली बार से कोई दुकानदार आपको खाद नहीं देगा. जिसके चलते किसान अपना मुंह नहीं खोल पा रहे हैं.
खाद की किल्लत से किसान परेशान हर बार इस मौसम में किसानों के खेतों में हरियाली आ जाती थी. लेकिन खाद की कालाबाजारी के चलते किसान अपनी फसल को उगा नहीं पा रहे हैं. अमनौर प्रखंड के किसान एक बोरी खाद के लिए ठंड की रात में 9:00 बजे से ही लाइन लगाकर खड़े हो रहे हैं. फिर भी खाद नहीं मिल पा रहा है. जिसे किसान काफी चिंतित हैं.
इसे भी पढ़ें- तेज रफ्तार स्कार्पियो ने पत्रकार को रौंदा, परिजनों ने जताई हत्या की आशंका
शुक्रवार को खाद की कमी से रायपुरा पंचायत, मदारपुर पंचायत, पैगा पंचायत, तरवार पंचायत, कोरिया पंचायत में किसान अपनी खेती छोड़ने के लिए विवश हैं. देश के प्रधानमंत्री बार-बार घोषणाएं करते हैं कि किसानों की आमदनी दोगुनी कर दी जाएगी. लेकिन यहां तो किसान दोहरी मार से झेल रहे हैं.
ऐसी ही विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करेंETV BHARAT APP