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तीन पीढ़ियों से देश की रक्षा में जुटा है परिवार, सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप

सारण का एक ऐसा परिवार है जो पिछली तीन पीढ़ियों से देश की सेवा करता आ रहा है. इस परिवार के जवानों ने कई युद्धों में अपनी भूमिका निभाई है.

देश की रक्षा में जुटा परिवार
देश की रक्षा में जुटा परिवार

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Published : Aug 14, 2020, 8:10 PM IST

सारण:जिले के मांझी प्रखंड की धन्नी छपरा गांव में एक ऐसा परिवार है जो बीते तीन पीढ़ियों से देश की सरहदों की रक्षा में जुटा हुआ है. तीन पीढ़ी सेना में रहकर भारत माता की सेवा की मिसाल पेश कर रही है. सरहदों पर रक्षा करने के साथ वे वर्मा के साथ युद्ध 1962 में भारत चीन युद्ध और 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध से लेकर 1999 में हुए कारगिल युद्ध में इस परिवार के सदस्य ने हिस्सा लिया था.

स्वर्गीय परशुराम सिंह सूबेदार के चार लड़के अजय सिंह, रामेश्वर सिंह, विनोद सिंह और प्रमोद सिंह हैं. जिसमें तीन भाई फौज में रहकर देश की सेवा में लगे हुए. रामेश्वर सिंह के दो लड़के शहीद शैलेश कुमार सिंह और छोटे भाई संदीप कुमार सिंह हैं. संदीप कुमार सिंह प्राइवेट जॉब करके अपने परिवार की देखभाल में रहते हैं.

देश की रक्षा के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान
शहीद शैलेश कुमार का जन्म 27 जनवरी 1984 में हुआ था. शहीद शैलेश कुमार सिंह शुरुआती दिनों से ही धरती माता और देश की सेवा करना चाहते थे. 2002 में शैलेश कुमार सिंह 14 रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. उसके बाद 9 पारा में फोर्स में भी योगदान दिया. 63वीं राष्ट्रीय राइफल में अपना योगदान देते हुए वे वीर गति को प्राप्त हो गए.

गांव में बना स्कूल

दिया आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब
2 अप्रैल 2010 को सिपाही शैलेश कुमार सिंह ने जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के घने जंगल में खोजो ओर मार डालो अभियान के दौरान आतंकवादी के ठिकाने से 50 मीटर का दूरी पर निशाना ले रखा था. मल्टी ग्रेनेड लॉन्चर के फायर से आतंकवादियों को एक-एक करके धाराशायी कर रहे थे. बहुत देर तक चली गोलीबारी में दो आतंकवादियों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी की. सुरक्षा बल घेरों को तोड़ने का प्रयास किया. इस पर शैलेश कुमार सिंह ने अपनी सैन्य टुकड़ी को कार्यवाही करने के लिए आदेश दिया.

स्वर्गीय परशुराम सिंह सूबेदार

बचाई अनेकों जवानों की जान
अपनी टुकड़ी को खतरे में भाप कर सिपाही शैलेश कुमार सिंह ने अपनी सुरक्षा की बिल्कुल परवाह ना करते हुए दो आतंकवादियों को सटीक निशाना साधकर मार गिराया. इस प्रकार शैलेश कुमार सिंह ने अनेक जवानों की जान बचाई. गोली बारी में शैलेश कुमार सिंह को नाक के पास गोली लग गई. गंभीर हालत के कारण वे वीर गति को प्राप्त हुए. शहीद शैलेश कुमार को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. उनके 8 साल के कार्यकाल में उन्हें 7 मेडल मिले थे.

मिलने गए थे सीएम नीतीश कुमार
शैलेश कुमार के मरणोपरांत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शहीद के घर धनी छपरा गए थे. परिवार को आश्वासन दिया कि वे शहीद का सपना पूरा करेंगे. उस समय शहीद की पत्नी सोनी देवी ने दो मांग मुख्यमंत्री के सामने रखी थी. उन्होंने गांव में स्कूल और बलिया मोड़ पर शहीद का स्मारक बनाने की बात कही थी.

शहीद के परिवार को आस
आजादी के जश्न से पहले लंबित पड़े मांगों की याद दिलाते हुए शहीद के छोटे भाई संदीप कुमार सिंह ने कहा कि सारण के जिलाधिकारी बदल गए. लेकिन वादा करने वाले मुख्यमंत्री तो आज भी मुख्यमंत्री हैं. सरकार उन्हीं की है. स्कूल तो बना लेकिन स्मारक नहीं बनी. जो स्कूल बना वह भी बदहाली में चल रहा है.

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