सारण: छपरा में सोमवार को कालीबाड़ी मंदिर में आयोजित दुर्गा पूजा का विधिवत रूप से समापन हो गया है. वैदिक मंत्रोच्चारण के बाद माता की प्रतिमा को विदाई के लिए बंगाली परंपरा के अनुसार महिलाओं ने माता को सिंदूर लगा कर और खोइंछा देकर विदा किया है. बंगाली परंपरा के अनुसार आज सुहागिन महिलाएं माता को सिंदूर लगाकर और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर मंगल गान गाती हैं और उसके बाद माता की विदाई की जाती है.
छपरा में सिंदूर खेला के साथ ही दुर्गा पूजा का हुआ समापन
छपरा के कालीबाड़ी मंदिर में सोमवार को 10 दिनों से चले आ रहे दुर्गा पूजा का समापन हो गया. इस दौरान महिलाओं ने माता को सिंदूर लगाकर और खोइंछा देकर विदा किया.
दुर्गा पूजा का हुआ समापन
बता दें कि छपरा के कालीबाड़ी में नौ दिवसीय दुर्गा पूजा का अनुष्ठान बड़े ही धूमधाम और बंगाली रीति रिवाज के अनुसार मनाया जाता है. यह परंपरा पिछले 100 साल से चली आ रही है और पूजा भी एक ही परिवार के पंडितों के द्वारा और आज भी उन्हीं की पीढ़ी के द्वारा ही कराई जाती है. इसी तरह प्राचीन समय से एक ही परिवार के लोग ही मूर्ति बनाते आ रहे हैं और उन्हीं के वंशजों के द्वारा आज भी मूर्तियों का निर्माण किया जाता है.
कोरोना ने दुर्गा पूजा में डाला खलल
छपरा कालीबाड़ी की बात करें तो इस पूजा को करते हुए 99 साल हो चुके हैं और हर साल काफी धूमधाम से यहां दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस बार कोविड संक्रमण के कारण पूजा को बहुत ही सीमित ढंग से और शांतिपूर्वक ढंग से मनाया गया है. कोरोना काल से पहले की बता करें तो हर साल बंगाल के कारीगरों द्वारा माता की प्रतिमा का निर्माण किया जाता था और बंगाल के कलाकार ही झांकी और ढोल बजाकर विशेष आरती किया करते थे, लेकिन इस बार जिला प्रशासन द्वारा रोक लगाए जाने के कारण बहुत ही संयमित ढंग से पूजा का निर्वहन किया गया है, साथ ही महा अष्टमी और महा नवमी के दिन लगने वाले भोज को भी रद्द कर दिया गया है.