सारण: छपरा सदर अस्पताल में बनाए गए कोविड -19 केयर सेंटरमें फायर सेफ्टी इंस्ट्रूमेंट नहीं है. जिस कारण आग लगने की स्थिति में बड़े हादसे का अंदेशा बना रहता है. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, जबकि वर्तमान समय में कोविड केयर सेंटर में 100 से अधिक कोरोना मरीज भर्ती हैं. इनमें बाल सुधार गृह के कई बच्चे भी शामिल हैं. फिर भी प्रशासन का ध्यान अभी तक इस ओर नहीं गया है.
गौरतलब है कि अग्निशमन विभाग ने इस साल फरवरी महीने में सदर अस्पताल, कोविड केयर सेंटर और जिले के पीएचसी का फायर ऑडिट किया था. ताकि वहां आग लगने की घटना रोकी जा सके और आग लगने पर तुरंत काबू किया जा सके. लेकिन यह कार्रवाई महज कागजी पन्नों पर सिमट कर रह गई.
यह भी पढ़ें: सांस पर संकट: पटना के इन 15 अस्पताल में खत्म होने वाला है ऑक्सीजन
सिविल सर्जन को नहीं है कोई जानकारी
कोविड केंयर सेटर में अग्निरोधी उपाय नहीं किया गया है, जबकि सदर अस्पताल में किये गए उपाय आग पर काबू पाने लायक नहीं है. वहां आग बुझाने के आधुनिक तकनीक नहीं मिले, जबकि अस्पताल में रोज नए-नए उपकरण लगाए जा रहे हैं. बिजली के तारों की वायरिंग के कारण भी अस्पताल में आग लगने का अंदेशा बना रहता है. वहीं, अस्पताल में अग्निशमन की उचित व्यवस्था पर सवाल पूछे जाने पर सिविल सर्जन ने कहा का कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
बता दें कि अग्निशमन विभाग ने अस्पताल समेत वहां बने कोविड केयर सेंटर का फायर ऑडिट किया था. जिसमें पता चला कि कोविड केयर सेंटर में आग से बचाव के कोई उपाय नहीं किया गया है. सदर अस्पताल में जो उपाय है वह बहुत कम है. इतना ही नहीं यहां हुई वायरिंग तक ठीक नहीं है. जिसके कारण यहां शॉर्ट सर्किट से आग लगने की आशंका अधिक है.