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छपरा शराब कांड: अब तक 75 लोगों की गई जान, प्रशासन ने की 67 मौतों की पुष्टि - छपरा शराब कांड में बड़ा खुलासा

बिहार में जहरीली शराबकांड (Chapra Hooch Tragedy) की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है. जहरीली शराब ने अब तक 75 लोगों को मौत की नींद सुला दिया है. फिलहाल जिला प्रशासन ने 67 मौतों की पुष्टि संदिग्ध पदार्थ पीने की वजह से की है. इधर इस मसले पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है और सीएम नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग कर रहा है.

छपरा शराब कांड
छपरा शराब कांड

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Published : Dec 18, 2022, 6:41 AM IST

छपरा:शराबबंदी वाले बिहार(Liquor Ban In Bihar) के छपरा में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस घटना में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही (Suspected death in Chapra due to poisonous liquor) है. जहरीला पदार्थ पीने से अब तक 75 लोगों की संदिग्ध मौत हो चुकी है. जिला प्रशासन की ओर से 67 मौतों की पुष्टि संदिग्ध पदार्थ पीने की वजह से की गई है. सारण के मशरक थाना क्षेत्र, मढ़ौरा, इसुआपुर और अमनौर प्रखंड में ही ये मौतें ज्यादा हुईं हैं. मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, ये टीम पूरे मामले की तफ्तीश में जुटी है. सारण जिला प्रशासन को अभी भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है.

ये भी पढ़ेंःसुशील कुमार मोदी आज जाएंगे छपरा, शराब कांड के पीड़ित परिवारों से करेंगे मुलाकात

छपरा शराब कांड में बड़ा खुलासा:इन सबके बीच छपरा जहरीली शराबकांड में बड़ा खुलासा हुआ है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जहरीली शराब कहीं और से नहीं आई बल्कि थाने से गायब हुई है. इस बात की जानकारी अब राज्य सरकार तक पहुंच गई है और इसकी जांच भी की जा रही है. दरअसल मशरक थाना में उत्पाद विभाग ने भारी मात्रा में कच्चा स्प्रिट जब्त कर उसे नष्ट करने के लिए रखा था, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इसे नष्ट करना भूल गए. इस स्प्रीट में से भारी मात्रा में स्प्रिट गायब मिली है. मिली जानकारी के अनुसार कई ड्रमों के ढक्कन गायब हैं और ड्रम से स्प्रिट गायब है. ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह शराब थाने से ही गायब हुई है, जिससे लोगों की लगातार मौत हो रही है.

थाने से गायब स्प्रिट बनी काल:पीड़ितों ने जानकारी दी है कि मशरक बाजार से ही उन्होंने यह शराब खरीदी थी. इस मामले की जांच करने राज्य सरकार की उच्च स्तरीय टीम भी छपरा पहुंच गई है. जिन्होंने थाने में रखे शराब का जायजा लिया, जहां भारी पैमाने पर अनियमितता पाई गई. यहां शराब को खुले में रखा गया था जिसमें से कई ड्रम गायब पाए गए. ज्वाइंट कमिश्नर कृष्णा पासवान और डिप्टी सेक्रेटरी उत्पाद विभाग निरंजन कुमार इस मामले की जांच करने मशरक पहुंचे थे. हालांकि उन्होंने मीडिया से बात नहीं की. अधिकारिक सूत्रों से मिली खबर के अनुसार इस थाने के दो चौकीदार शक के दायरे में हैं, जिनमें जदु मोड़ इलाके का चौकीदार भी शामिल है, जिसे निलंबित कर दिया गया है. जदु मोड़ के पास और उसके संबंधित इलाके में भारी संख्या में जहरीली शराब से लोग बीमार हुए हैं. जिनमें से अब तक लगभग 73 लोगों की मौत हो गई है.

67 लोगों के मौत की पुष्टि:इस मामले में एसपी ने 72 घंटे के अंदर 213 लोगों के पकड़े जाने की बात कही है. इनमें से कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. पुलिस आरोपी गुड्डू पांडे और अनिल सिंह को भी गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है. ऐसी आशंका जताई जा रही है मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती है, क्योंकि कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. बीमार लोगों का इलाज छपरा सदर अस्पताल, पीएमसीएच और एनएमसीएच में चल रहा है. जहरीली शराब पीने से अब तक 25 लोगों की आखों की रोशनी भी चली गई है. अधिकारिक तौर पर अब तक 67 मौतों की पुष्टि की गई है. वहीं, इस मामले में थानेदार और चौकीदार पर गाज गिरी है. एसपी संतोष कुमार (SP Santosh Kumar) ने दोनों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. SDPO का ट्रांसफर किया गया है. मढ़ौरा डीएसपी पर भी तबादले की तलवार लटकी है.

"मढ़ौरा अनुमंडल के विभिन्न थाना क्षेत्रों में संदिग्ध स्थिति में मृत्यु होने की घटना के बाद मशरख थाना एवं इसुआपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी जारी है. त्वरित अनुसंधान एवं गिरफ्तारी के लिए अपर पुलिस अधीक्षक सह अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सोनपुर के नेतृत्व में 3 पुलिस उपाधीक्षक सहित कुल 31 पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मी के लिए एक विशेष जांच टीम गठित की गई है.'' -संतोष कुमार, पुलिस अधीक्षक, सारण

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायरः वहींजहरीली शराब से मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है, जिसमें लगभग 60 लोग के मारे जाने की बात कही गई है. याचिका में त्रासदी की जांच के लिए एसआईटी द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग की गई है. अधिवक्ता पवन प्रकाश पाठक ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया. पीठ ने तत्काल सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया और वकील से कहा कि उन्हें मामले को सूचीबद्ध करने के लिए उचित प्रक्रिया से गुजरना होगा. सुप्रीम कोर्ट शनिवार से शुरू होने वाले दो सप्ताह के शीतकालीन अवकाश पर जाएगा और यह 2 जनवरी को फिर से खुलेगा. बिहार स्थित आर्यावर्त महासभा फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका में पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है.

राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन: इधर, इस मसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों ओर हमलावर रुख अपनाए हुए है. गुरुवार को विधानसभा नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, विधानपरिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी, पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर समेत बीजेपी के शिष्टमंडल ने छपरा का दौरा किया. उन्होंने परिजनों से मिलकर मौत की वजह और वहां चल रही पुलिसिया कार्रवाई का जायजा लिया. उसके बाद शुक्रवार को बीजेपी नेताओं ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा. खबर है कि आज शनिवार को बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी भी छपरा में पीड़ित परिजनों से मुताकात करेंगे.

"ये सवाल उठता है कि आखिर सारण जिला में ही बार-बार क्यों और अभी से लेकर पहले सोनहो में दर्जन भर से लोग मरे थे. आखिर में सारण में क्यो और बिहार की धरती पर क्यों. सरकार ने नीति बनायी है, नीति है शराबबंदी की. लेकिन विषैली शराब अगर बिकती है या कोई बंटता है या लोग पीते हो तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है. अभी इसी गांव का एक नौजवान ने कहा जिसके घर का एक सदस्य मरा है. उसने बताया कि हमने देखा है कि गांव का चौकीदार गाड़ी लगाकर बेचता है. यहां के हर व्यक्ति को पता है कि शराब किस मोहल्ले से किस मोहल्ले में जा रहा है. यदि ये विफलता है तो ये विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है. या तो नीति फेल है या नीयत फेल है"- राजीव प्रताप रूडी, सांसद, बीजेपी

उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का बयानः उधर, सरकार के मंत्री इस मामले में बेतुके बयान दे रहे हैं. खुद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस मामले में जवाब देते हुए कहा कि जहरीली शराब यूपी और हरियाणा से आ रही है, जहां बीजेपी की सरकार है. इस पर वो लोग कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं. यानी कुल मिला कर बिहार में मौत पर राजनीति भी खूब हो रही है. तेजस्वी ने कहा कि कोई किसी को बताकर नहीं जाता है कि शराब पीने वाला है. सरकार को बताकर पीने वाला थोड़े ही जाता है कि पीने जा रहे हैं. लोगों में जागरूकता होनी चाहिए. हमलोग भी छोटे थे तो हमारे माता-पिता ने हमें जागरुक बनाया. जब बच्चे बाहर जाते हैं तो घर के अभिभावक बच्चों को जानकारी देते हैं कि नशा मत करना. इसकी आदत सही नहीं है. जहरीली शराब पर कार्रवाई हो रही है.

'नेता प्रतिपक्ष के समधी के घर से शराब बरामद': डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) ने दावा किया कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा के बेटे के रिश्तेदार के घर से 1100 से अधिक शराब की बोतलों वाले 108 कार्टून जब्त किए गए हैं. उन्होंने कहा- "जब मैं विधानसभा में था तो मुझे बताया गया कि विजय सिन्हा के बेटे के ससुर के घर से 1100 से अधिक बोतलों वाली 108 कार्टून शराब जब्त की गई है. मामले की जांच होनी चाहिए और अधिकारियों को सच्चाई सामने आनी चाहिए. अगर यह सच है तो बेहद गंभीर मामला है".

सीएम नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून पर अपना पक्ष रख दिया है. सदन को गुमराह करके काम नहीं चल सकता है. ग्रामीण विकास विभाग पर आज चर्चा थी, विपक्ष के पास इस विषय पर चर्चा के लिए कोई जानकारी ही नहीं थी. जहां तक बिहार में शराब की बात है तो यहां शराब यूपी और हरियाणा से आ रहा है, जहां बीजेपी की सरकार है. इसपर वोलोग कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं"-तेजस्वी यादव, उप मुख्यमंत्री

"बिहार में शराबबंदी है, तो कुछ न कुछ नकली बिकेगा, इसे पीकर लोगों की मौत हो गई. शराब बुरी आदत है, इसे नहीं पीना चाहिए. अधिकारियों को साफ तौर पर कहा है कि गरीबों को न पकड़ें, जो लोग इसका व्यवसाय कर रहे हैं उन्हें पकड़ें. बिहार में शराबबंदी कानून से कई लोगों को फायदा हुआ है कई लोगों ने शराब छोड़ दी है. गड़बड़ी करने वाले तो हर जगह होंगे. कानून तो बना ही है, फिर भी गड़बड़ करने वाले लोग करते ही हैं.'' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

स्थानीय स्तर पर गलत ढंग से बन रही शराबःअपनों को खो चुके ग्रामीणों का साफ कहना है कि कच्ची शराब बनाने वाले अवैध कारोबारी लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं. पहले महुआ के साथ शीरे के तौर पर गुड़ का इस्तेमाल करके शराब बनाई जाती थी, लेकिन ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में अवैध शराब कारोबारी यूरिया और नौशादर का इस्तेमाल करने लगे हैं. देसी शराब में अगर यूरिया की मात्र थोड़ी भी ज्यादा हो जाए, तो वो जहर में तब्दील हो जाती है. वहीं, सारण जिले के रसायन शास्त्र के एक शिक्षक बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर गलत ढंग से शराब बनाई जाती है. उन्होंने दावा किया कि उसकी रसायनिक अभिक्रियाओं के दौरान इथाइल अल्कोहल के साथ मिथाइल अल्कोहल भी बन जा रहा है. स्थानीय स्तर पर शराब बनाने के दौरान तापमान का कोई ख्याल नहीं रखा जाता. जब शराब में मौजूद फॉलिक एसिड अधिक मात्रा में शरीर में जायेगी तो मौत होना निश्चित है.

"सभी ने एक समारोह में शराब पी थी, जिसके बाद एक-एक कर सबकी तबीयत बिगड़ने लगी. हमारे इलाके में खुलेआम दारू बिक रही है. पुलिस समय रहते अगर कार्रवाई करती तो आज ये मौतें न होतीं. क्या गारंटी कि ऐसी घटनाएं अब नहीं होंगी. सभी गांव में शराब बिकती है. आज पुलिस गांव में शराब खोज रही, अगर पुलिस पहले ही अपने कर्तव्यों का पालन करती तो क्या आज ये शव देखने को नहीं मिलते. पुलिस को फोन करने के बाद भी उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की. उल्टा कह रही थी कि कोई पूछे तो कह देना ठंड से मर गया. लाश को जल्दी हटवा दो. अब हमारे बच्चों की परवरिश कौन करेगा. शराबबंदी ने कई ने हमारे घरों को उजाड़ दिया है"- पीड़ित महिला

सारण संदिग्ध जहरीली शराब से मरने वाले मृतकों की सूची:

1. अजय गिरि, पिता सूरज गिरि, बहरौली मशरक

2. चंदेश्वर साह, पिता भिखार साह, बहरौली मशरक

3. जगलाल साह, पता भरत साह, बहरौली मशरक

4. अनिल ठाकुर, पिता परमा ठाकुर, बहरौली मशरक

5. सीताराम राय, पिता सिपाही राय, बहरौली मशरक

6. एकराकुल हक, पिता मकसूद अंसारी, बहरौली मशरक

7. दूधनाथ तिवारी, पिता- महावीर तिवारी, बहरौली मशरक

8. शैलेन्द्र राय, पिता दीनानाथ राय, बहरौली मशरक

9. हरेंद्र राम, पिता गणेश राम, मशरक तख्त

10. भरत साह, पिता गोपाल साह, शास्त्री टोला, मशरक

11. मोहम्मद नसीर, पिता शमशुद्दीन मियां, तख्त मशरक

12. रामजी साह, पिता गोपाल साह, शास्त्री टोला, मशरक

13. भरत राम, पिता मोहर राम, मशरक तख्त

14. कुणाल सिंह, पिता जद्दु सिंह, यदु मोड़, मशरक

15. मनोज कुमार, पिता लालबहादुर राम, दुरगौली, मशरक

16. गोविंदा राय, पिता घिनावन राय, पचखण्डा, मशरक

17. रमेश राम, पिता कन्हैया राम, बेन छपरा, मशरक

18. ललन राम, पिता करीमन राम, शियरभुक्का, मशरक

19. जयदेव सिंह, पिता बिन्दा सिंह, बेन छपरा मशरक

20. सूरज साह पिता मथुरा साह बहरौली, मशरक

21. रूपेश साह पिता मिश्री साह बहरौली, मशरक

22. जे पी सिंह गोपालबारी, मशरक

23. विश्वकर्मा पटेल गोपालबारी, मशरक

24. संजय कुमार सिंह, पिता वकील सिंह, डोयला, इसुआपुर

25. अमित रंजन उर्फ रूनू पिता द्विजेन्द्र सिन्हा, डोयला इसुआपुर

26. बिचेन्द्र राय, पिता नरसिंह राय, डोयला, इसुआपुर

27. प्रेमचंद पिता मुन्नीलाल साह, रामपुर अटौली, इसुआपुर

28. दिनेश ठाकुर, पिता अशर्फी ठाकुर महुली इसुआपुर

29. उपेन्द्र राम, पिता- अक्षलाल राम, अमनौर

30. उमेश राय, पिता- शिवपूजन राय, अमनौर

31. सलाउद्दीन मियां, पिता वकील मियां, अमनौर

32. विक्की महतो, पिता- सुरेश महतो, मढौरा

33. बिक्रम राज, खरौनी मढौरा

34. छोटे साह, खरौनी, मढौरा

35. रमेश महतो- लालापुर, मढौरा

36. रंगीला महतो, लालापुर, मढौरा

37. सुरेंद्र सिंह- हुस्सेपुर, अमनौर

38. दशरथ महतो- महुली. इसुआपुर

39. विक्की महतो- चहपुरा, इसुआपुर

40. श्रीभगवान सिंह-डीह छपिय, तरैया

41. तारक नाथ शर्मा-टोले छपिया, तरैया

42. नथुनी राम, बिन टोलिया छपिया, तरैया

43. वीरेंद्र राम-बिन टोलिया छपिया तरैया

44. जयलाल राय, हुस्सेपुर

45. मुकेश राम, मनी सिरिसिया

46. योगेंद्र कुंवर, मशरक

47. दूधनाथ सिंह कुशवाहा, मशरक

48. मनोज सिंह कुशवाहा, मशरक

49. मुन्ना आलम, मशरक

50. सिपाही राय, मशरक

51. मुकेश कुमार, मशरक

52. विनोद शर्मा, अमनौर

53. मिथलेश राय, इसुआपुर

54. राकेश सिंह, इसुआपुर

55. हरिकिशोर राय, इसुआपुर

56. बलि सिंह, इसुआपुर

57. अभय कुमार गिरी, इसुआपुर

58. मंजू देवी, इसुआपुर

59. पिंटू, रायदरियापुर

60. मुकेश शर्मा, मशरक

61. चन्द्रमा राम, मशरक

62. दिनेश ठाकुर, मशरक

63. सरेन साह, मशरक

64. जतन साह, मशरक

65. हरेराम सिंह, मशरक

66. मोहन प्रसाद यादव, मशरक

67. कन्हैया सिंह, मशरक

68. बृजेश कुमार राय, मशरक

69. चमचम साह, मशरक

70. कमलेश साह, मशरक

71. प्रेम तिवारी, मशरक

72. दामोदर राय, परसा

73. मंटू राय, परसा

74. शिवदयाल राउत, कतालपुर, जिला गोपालगंज

75. गौरी देवी कताल, जिला, गोपालगंज

गांवों में पसरा मातमी सन्नाटाः आपको बता दें कि छपरा में 75 लोगों की मौत की वजह से वहां मातम पसरा हुआ है. वहीं अभी भी कई लोगों की हालत खराब है. दर्जनों लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है. गांव वाले कहते हैं कि यहां शराबबंदी का कोई असर नहीं दिखता. आए दिन लोगों को शराब में नशे में देखा जाता है. शराबबंदी के बावजूद लोग चोरी छिपे शराब पी ही रहे हैं. दरअसल 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि जहरीली शराब से विभिन्न जिलों में लोगों की मौतें होती रहती हैं. यह पहली बार नहीं है, जब जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है. आखिर जहरीली शराब से हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है. क्या वह शराब माफिया जो जहरीली शराब बेच रहे हैं या वह प्रशासन जिनकी मिलीभगत से शराब जिलों में बेची जा रही है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सिर्फ चौकीदार या थाना प्रभारी ही कैसे हो सकता है, जिन्हें शराब से मौत के मामले में अक्सर दोषी पाकर सस्पेंड कर दिया जाता है.

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