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छपरा जहरीली शराब कांड: घर-घर दस्तक दे रही NHRC, टीम ने बनाई सवालों की लंबी लिस्ट

बिहार के सारण जहरीली शराबकांड (Bihar Hooch Tragedy) की जांच NHRC ने तेज कर दी है. टीम घर-घर पहुंचकर पीड़ितों के परिजनों से मौत की वजह जानने की कोशिश कर रही है. मानवाधिकार आयोग ये जानना चाहता है कि शराबबंदी वाले बिहार में चूक कैसे हुई और इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है?

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Published : Dec 22, 2022, 2:20 PM IST

छपरा: बिहार केछपरा जहरीली शराबकांड(Chapra Hooch Tragedy) की जांच राष्ट्रीय मनवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) की टीम ग्राउंड पर जाकर कर रही है. इसके पहले NHRC ने छपरा सदर अस्पताल में सिविल सर्जन से पूछताछ की थी, अब एनएचआरसी की टीम मशरक समेत प्रभावित इलाकों में पहुंचकर पीड़ितों के घर-घर दस्तक दे रही है. पीड़ित परिवारों से बिंदुवार सवाल पूछ रही है. बता दें कि छपरा के मढ़ौरा, मशरक, इशुआपुर में ज्यादा कैजुअलटी हुई थी.

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छपरा जहरीली शराबकांड में NHRC की घर-घर दस्तक: छपरा में हुए जहरीली शराबकांड (Saran Hooch Tragedy ) के बाद मानव अधिकार आयोग की टीम मशरक समेत प्रभावित इलाकों में पीड़ित परिवारों से घूम-घूम कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. टीम ने परिवार वालों से पूछा कि घटना कैसे हुई ? जो मौतें हुईं उसका कारण क्या था? मानव अधिकार आयोग की टीम मशरक पहुंची और उसके बाद मढ़ौरा के हुसेपुर, छपिया टोला, मशरक के जद्दू मोड़ बैंक, छपरा गोगिया, बहरौली, गोपालपुर, रोहिल्ला, महुली, चांदपुरा में भी टीम ने पहुंचकर मृतक के परिजनों से बात की. एक-एक पीड़ित परिजनों के घर जाकर विस्तृत रूप से पूछताछ की.

मानवाधिकार आयोग की टीम पूछ रही ये सवाल: मानव अधिकार आयोग ने लोगों से यह भी पूछा की शुरुआत में मरीजों को क्या दिक्कत हुई? इस को दबाने के लिए प्रशासन की तरफ से भी कोई दबाब दिया गया? इस टीम ने दिनभर घूम-घूम कर लोगों से बात की. छपरा शराब कांड का सच जानने की कोशिश की. मानव अधिकार आयोग के लोगों के द्वारा यह भी पूछा गया कि वह शराब कहां से पिए थे? मरने से पहले पीड़ितों ने परिजनों को क्या बताया? शरीर में कब तकलीफ शुरू हुई? कब अस्पताल पहुंचाया गया? अस्पताल में क्या-क्या सुविधाएं मिलीं? रेफर किया गया तो अस्पताल द्वारा क्या सुविधा दी गईं? परिवार वालों से सभी बिंदुओं पर जानकारी कलेक्ट की गई.

मानवाधिकार के लोगों से पूछे गए सवालों की लिस्ट

  1. घटना कैसे हुई ?
  2. जो मौतें हुईं उसका कारण क्या था?
  3. शुरुआत में मरीजों को क्या दिक्कत हुई?
  4. इस को दबाने के लिए प्रशासन की तरफ से भी कोई दबाब दिया गया?
  5. लोगोंं ने शराब कहां से पी थी ?
  6. मरने से पहले पीड़ितों ने परिजनों को क्या बताया?
  7. शरीर में कब तकलीफ शुरू हुई?
  8. कब अस्पताल पहुंचाया गया?
  9. अस्पताल में क्या-क्या सुविधाएं मिलीं?
  10. रेफर किया गया तो अस्पताल द्वारा क्या सुविधा दी गईं?
  11. मरने वाले किस तरह के लोग थे?
  12. उनकी आर्थिक स्थिति क्या थी?

जमीन पर जांच कर रही NHRC: यही नहीं NHRC ने मरने वाले किस तरह के लोग थे? उनकी आर्थिक स्थिति क्या थी, इस संबंध में भी जानकारी हासिल की. गौरतलब है कि इसके पहले मानव अधिकार आयोग की 1 सदस्यी टीम छपरा सदर अस्पताल पहुंची थी और वहां भी उन लोग ने छपरा के सिविल सर्जन, अस्पताल उपाधीक्षक और अन्य लोगों से विस्तृत जानकारी ली थी.

इस मामले में छपरा के सिविल सर्जन ने बताया कि अभी तक 42 मौतें हुई हैं. पोस्टमार्टम के बाद सभी का बिसरा सुरक्षित रख लिया गया है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और बिसरा की रिपोर्ट आने के बाद ही मामले का पूरी तरह से खुलासा हो पाएगा कि मौत जहरीली शराब की वजह से हुई है या किसी अन्य कारण से. बता दें कि छपरा जहरीली शराब कांड में अब तक 76 लोगों की मौत की खबर है. जबकि आबकारी मंत्री ने 38 मौतों की पुष्टि प्रेसकॉन्फ्रेंस करके दी थी. जबकि विपक्ष का दावा है कि 100 से अधिक मौतें इस जहरीली त्रासदी के चलते हुईं हैं. मीडिया रिपोर्ट के आधार पर ही मानवाधिकार आयोग ने इस मसले की जांच शुरू की है.

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