बिहार

bihar

ETV Bharat / state

छपराः भोजपुरी महोत्सव का हुआ समापन, साहित्यकार ने कहा-भोजपुरी से ज्यादा हिंदी में अश्लीलता

आयोजित भोजपुरी महोत्सव में भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के प्रसिद्ध नाटक विदेशिया का मंचन किया गया. इस मौके पर साहित्यकारों ने इस भाषा को 8वीं अनुसूचि में जल्द शामिल होने की आशा व्यक्त की.

भोजपुरी महोत्सव

By

Published : Sep 23, 2019, 2:52 AM IST

छ्पराः जिला मुख्यालय में आयोजित भोजपुरी महोत्सव के दूसरे दिन पहले सत्र में भोजपुरी प्रदेश के संत और साहित्य विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. जबकि दूसरे सत्र में भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के लिखे गीत और उनके प्रसिद्ध नाटक विदेशिया का मंचन किया गया. जिसमें कई स्थानीय कलाकारों ने भाग लिया.

इस नाटक के माध्यम से इस बात को बताया गया कि पहले लोग कमाने के लिए कलकता जाते थे और वहीं के होकर रह जाते थे. इस बात को नाटक के माध्यम से अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया. छ्परा के सेंट्रल पब्लिक स्कूल में आयोजित इस कार्यकम का मुख्य उद्देश्य भोजपुरी को जल्द से जल्द आठवीं अनुसूची में शामिल करने की पहल है.

भोजपुरी महोत्सव में प्रस्तुति देते कलाकार

कलाकार और साहित्यकार हुए सम्मानित
इस कार्यक्रम मे भोजपुरी भाषा के साहित्यकारों और कवियों ने भोजपुरी भाषा के गानों और फिल्मों के माध्यम से परोसी जा रही अश्लीलता पर चिंता प्रकट की. जनता से अपील करते हुए कहा कि इस तरह के अश्लील गीतों का वहिष्कार करें. वहीं, इस अवसर पर भोजपुरी साहित्य सेजुड़े साहित्यकारों, कवियों और भोजपुरी भाषा के कलाकारों को सम्मानित किया गया.

भोजपुरी महोत्सव पर ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

भोजपुरी से ज्यादा से ज्यादा हिंदी में अश्लीलता
इस मौके पर भोजपुरी साहित्यकार रवींद्र शाहाबादी ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल में शामिल कराने के लिए संघर्ष करने की बात कही. उन्होंने आशा करते हैं कि इसे आठवीं अनुसूचि में जल्द शामिल कर लिया जायेगा. वहीं, भोजपुरी में बढ़ते अश्लिलता पर कहा कि हिंदी में भोजपुरी से ज्यादा अश्लील गानें आ चुके हैं. रवींद्र शाहाबादी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जितने स्तर पर हिंदी में अश्लीलता है, उतने स्तर पर भोजपुरी में नहीं है.

भोजपुरी साहित्यकार रवींद्र शाहाबादी

भोजपुरी से मिल सकता है रोजगार
जबकि भोजपुरी साहित्यकार प्रोफेसर उषा वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि इस तरह के कार्यक्रम होते रहना चाहिए. इससे भोजपुरी भाषा दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ेगा. भोजुरी का प्रचार-प्रसार गांव-गांव तक करने की जरुरत है. इससे रोजगार भी पाया जा सकता है. भोजपुरी को आठवीं अनुसूचि में शामिल कराने के लिए संघर्ष की जरुरत है.

भोजपुरी साहित्यकार प्रोफेसर उषा वर्मा

ABOUT THE AUTHOR

...view details