बिहार

bihar

ETV Bharat / state

Chhath Puja 2022: छपरा में बनता है छठ में प्रयोग होने वाला आलता पत्र, लेकिन इस बात से परेशान हैं कारीगर

आलता पत्र छठ पूजा (Chhath Puja 2022) में प्रयोग होने वाली महत्वपूर्ण चीजों में से एक है. इसको बनाने में काफी मेहनत लगती है. लेकिन इसे बनाने वाली महिला कारीगरों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता. व्यापारी इसे औने-पौने दाम पर खरीद कर ले जाते हैं.

छठ में प्रयोग होने वाला आलता पत्र
छठ में प्रयोग होने वाला आलता पत्र

By

Published : Oct 25, 2022, 10:02 AM IST

Updated : Oct 25, 2022, 11:16 AM IST

छपराःबिहार में दीपावली का त्योहार समाप्त होते ही छठ पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है. लोग छठ पूजा की खरीदारी करने के लिए बाजार में निकल पड़ते हैं, क्योंकि कार्तिक मास में मनाए जाने वाला छठ पूजा में सभी नए चीजों का प्रयोग होता है, जिसमें मौसमी फल, आलता पत्र, दौरा, कलसूप सहित सभी नवनिर्मित चीज का प्रयोग किया जाता है. छठ पूजा में 56 प्रकार के सामग्री का प्रयोग किया जाता है. जिसमें आलता पत्र एक प्रमुख चीज(Alta Patra For used on Chhath make in Chapra) है. जो छठ पूजा की महत्वपूर्ण चीज है और इसको घरों के दरवाजे, खिड़कियां और दीवारों पर लगाया जाता है. ये आलता पत्र छपरा जिले के कुछ विशेष स्थानों पर ही बनाया जाता है और इसके बनाने की लंबी प्रक्रिया होती है. आईये जानते हैं आलता पत्र बनने की पूरी प्रक्रिया...

ये भी पढ़ेंःसारण: आलता पत्र का छठ पर्व में है विशेष महत्व, खास विधि से तैयार करते हैं कारीगर

बड़ागोपाल गांव के लोग बनाते हैं आलता पत्रःछपरा जिले के बड़ागोपाल गांव में इस आलता पत्र का घर-घर निर्माण किया जाता है. यहां ये कुटीर उद्योग के रूप में जाना जाता है. बड़ागोपाल और झौआ गांव में व्यापारी काफी पहले से ही ऑर्डर दे देते हैं और इसका निर्माण होने पर उनको समान बेच दिया जाता है. इस आलता पत्र को पूरे देश में, जैसे कोलकाता, मुंबई, बनारस और अन्य जगहों पर भी भेजा जाता है.

मुश्किल से होता है कारीगरों का गुजाराः वहीं, आलता पत्र को बनाने वाली महिला उद्यमियों का कहना है कि वो बड़ी मेहनत से इस आलता पत्र को बनाती हैं. लेकिन इसको बनाने में जितनी मेहनत लगती है, उसके हिसाब से उनको मेहनताना नहीं मिलता है. जिस कारण इन महिलाओं को काफी मुश्किल से गुजारा करना पड़ता है, क्योंकि यह उनलोगों का पारंपरिक पेशा है. महिलाओं का कहना है कि बाहर से आने वाले व्यापारी हमारी इस मेहनत को नजरअंदाज करके ओने पौने दाम में खरीद कर ले जाते हैं. बाद में इसे काफी ऊंची कीमत पर बेचते हैं.

"यह यहां का कुटीर उद्योग है, जिसको लेकर यहां के अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं. हम लोग को अभी तक कुटीर उद्योग का भी दर्जा नहीं मिला है. जिसके कारण हमारी मेहनत की पूरी कीमत नहीं मिल पाती है बाहर से आने वाले व्यापारी ओने पौने दाम में खरीद कर ले जाते हैं. बाद में इसे काफी ऊंची कीमत पर बेचते हैं. ये हमारा पारंपरिक पेशा है, इसलिए इसमें लगे हुए हैं"- महिला कारीगर

आलता पत्र बनाने की है खास विधिःआलता पत्र बनाने के लिये स्थानीय महिलाएं मिट्टी के दिये में गोबर के गोइठे की राख से रूई के फाहे को रखकर दबाती हैं. उसके बाद इनका बंडल बनाकर रंगने के लिये चूल्हे पर चढ़ाकर उबालने के बाद इसे सुखाया जाता है. सुखाने के बाद फिर से इसको अलग-अलग कर बंडल बनाया जाता है. इस प्रकार फिर आलता पत्र बाजार में बिकने के लिए जाता है.

कुटीर उद्योग में शामिल करने की मांगःमहिला कारीगरों का कहना है कि हमलोग की सरकार से मांग है इसे कुटीर उद्योग में शामिल किया जाए. ताकि हम लोगों के मेहनत का सही मेहनताना मिल सके. हम लोग छठपूजा के लिए आलता पत्र की इसी तरह निर्माण करते रहे और इसमें और अधिक गुणवत्ता बनी रहे.

Last Updated : Oct 25, 2022, 11:16 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details