सारण: छठ महापर्व के पूजन सामग्रियों में आलता पत्र को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. सभी पूजन सामग्रियों के होने के बावजूद आलता पत्र के बिना छठ पूजा अपूर्ण और असंभव मानी जाती है. आलता पत्र छपरा के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर घर-घर स्थानीय महिलाएं और बच्चे-बच्चियां मिलकर निर्माण करते हैं.
बता दें कि छपरा जिले का बड़ा गोपाल और अवतार नगर थाना क्षेत्र के इलाकों में इसे बनाने का काम किया जाता है. एक तरह से देखा जाए तो आलता पत्र का निर्माण यहां कुटीर उद्योग के रूप में होता है.
बनाने की है खास विधि
आलता पत्र बनाने के लिये स्थानीय महिलाएं मिट्टी के दिये में गोबर के गोइठे की राख से रूई के फाहे को रखकर दबाती हैं. उसके बाद इनका बंडल बनाकर रंगने के लिये चूल्हे पर चढ़ाकर उबालने के बाद इसे सुखाया जाता है. सुखाने के बाद फिर से इसको अलग-अलग कर बंडल बनाया जाता है. इस प्रकार फिर आलता पत्र बाजार में बिकने के लिए जाता है.
आलता पत्र का छठ पर्व पर है खास महत्व मेहनताने से नाखुश हैं कारीगर
यहां के लोगों का कहना है कि हम वैशाख के महीने से रूई मिलने के साथ ही निर्माण कार्य शुरू कर देते हैं. छठ महापर्व के समय हमलोगों का काम पूरा होता है. अब आलता पत्र की बिक्री में तेजी आएगी. साथ ही यहां के आलता पत्र बनाने वालों का कहना है कि हम तो केवल बनाते हैं. व्यापारी आकर हमसे खरीद ले जाते हैं. कारीगरों का कहना है कि हम जिस तरह से इसे बनाने में मेहनत करते हैं. हमें उतना मेहनताना नहीं मिलता है.
आलता पत्र बनाने वाली कारीगर