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छपरा के स्कूलों में करीब 400 शिक्षक फर्जी, निगरानी विभाग ने मांगी रिपोर्ट

छपरा जिले के शिक्षा पदाधिकारी ने खुलासा किया है कि जिले में लगभग 400 से करीब फर्जी शिक्षक कार्यरत है. इसकी जानकारी मिलने के बाद निगरानी विभाग ने रिपोर्ट मांगी है.

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Published : Mar 29, 2019, 9:52 PM IST

छपरा: जिले में कई ऐसे फर्जी शिक्षक हैं जो शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से शिक्षक बने हुए हैं. ऐसे कुल 400 फर्जी शिक्षकों के नाम सामने आए हैं जो फर्जी तरीके से काम कर रहे हैं. इस बात का खुलासा जिला शिक्षा पदाधिकारी ने किया है.

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने पत्र के माध्यम से जिले के सभी प्रखंडों के शिक्षा पदाधिकारियों से इसकी जानकारी मांगी हैं. नियोजित शिक्षकों से जुड़े कार्यालय के सहायकों से भी 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है. इस रिपोर्ट को निगरानी विभाग के जिम्मे सौंपने के लिए भी सोमवार तक का समय मांगा हैं.

जयचंद प्रसाद श्रीवास्तव, जिला शिक्षा पदाधिकारी

फर्जा शिक्षकों की संख्या 400
जिला शिक्षा पदाधिकारी जयचंद प्रसाद श्रीवास्तव ने अपने पत्र में लिखा है कि जिले के सभी प्रखंडों में लगभग 400 से ज्यादा फर्जी टीईटी प्रमाण पत्र व शैक्षणिक योग्यता दिखा कर नियोजन करा लिया गया हैं.

निगरानी विभाग की है नजर
मालूम हो कि फर्जी शिक्षकों की बहाली से जुड़े मामलें को निगरानी विभाग देख रहा है. इसके पहले भी फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित शिक्षकों का बर्खास्त किया जा चुका हैं. अभी भी कुछ ऐसे शिक्षक हैं जो अपनी दबंगई या शासन प्रशासन की मिलीभगत से जमे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक इन फर्जी शिक्षकों के वेतन का कुछ हिस्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक को मिलती है.

अधिकारियों की है मिलीभगत
वर्ष 2016 में सारण जिले के विभिन्न स्कूलों में लगभग 3500 सौ से ज्यादा फर्जी शिक्षकों के संकेत निगरानी विभाग को मिली थी. उसी समय से जांच की प्रक्रिया शुरू तो की गई थी लेकिन शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों व कनीय अधिकारियों की मिलीभगत से अभी तक जमे हुए हैं.

मात्र 5 प्रतिशत लोग ने पास किया था TET
बता दें कि निगरानी विभाग ने जब वर्ष 2017 में जांच से पहले ही शिक्षा विभाग से टीईटी पास शिक्षकों की सूची मांगी थी. तब उनलोगों के होश उड़ गए थे. जिले में जितने लोग टीईटी परीक्षा में बैठे हुए थे, उसमें से मात्र पांच प्रतिशत यानी लगभग 1400 परीक्षार्थी ही टीईटी परीक्षा पास किये हुए थे लेकिन शिक्षकों की बहाली 1800 से भी ज़्यादा हो गई थी. इसी वजह से ये मामला निगरानी विभाग के जिम्मे सौंपी गई थी.

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