समस्तीपुरः कोरोना महामारी से बचाव को लेकर लगे लॉकडाउन में हजारों किमी पैदल चलकर प्रवासी मजदूर अपने-अपने घर लौटे थे. तब जिस परिस्थिति में लोग घर लौटे थे, उनका कहना था कि दो पैसा कम ही कमाएंगे लेकिन अब लौटकर परदेस नहीं जाएंगे. तब सरकार भी सभी को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार देने का वायदा की थी, लेकिन अब तस्वीर बिल्कुल अलग है. मजदूरों को एक बार फिर से रोजगार की तलाश में परदेश लौटना पड़ रहा है.
लॉकडाउन में हजारों किमी पैदल चलकर लौटे थे प्रवासी मजदूर, रोजगार की तलाश में फिर कर रहे पलायन
पलायन कर रहे मजदूरों ने कहा कि इतना दिन घर पर इंतजार करने के बाद भी काम नहीं मिला. परिवार के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. लिहाजा काम की तलाश में एक बार फिर से परदेस का रुख करना पड़ रहा है.
'कोरोना के खतरे से बड़ी है पेट की भूख'
जिले से रोजाना सैकड़ों मजदूर दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगना और तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों के लिए रवाना हो रहे हैं. कोरोना का खतरा तो नहीं टला है, लेकिन पेट की भूख उससे भी ज्यादा विकराल हो गई है. लिहाजा लोग जान जोखिम में डालकर जाने को मजबूर हैं, उनके साथ महिलाएं और बच्चों का भी जत्था शामिल है.
'घर में नहीं मिला रोजगार'
रोजगार के लिए पलायन कर रहे मजदूरों ने कहा कि सरकार बोली थी कि घर में काम दिया जाएगा, लेकिन इतना दिन इंतजार करने के बाद भी यहां रोजगार नहीं मिला. परिवार के सामने भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. लिहाजा काम की तलाश में एक बार भी दूसरे राज्यों का रूख करना पड़ रहा है.