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केके पाठक जी स्कूलों में Toilet तो बनवा दिजीये.. विद्यालय आने वाले बच्चे शौच के लिए कहां जाएं?

Bihar Education System: बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और शिक्षा मेंं गुणवत्ता पर तो खूब जोर दिया जा रहा है, लेकिन स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर सिर्फ वादे और दावे हैं. समस्तीपुर जिले में दो स्कूल एक ही भवन में संचालित हो रहे हैं, लेकिन यहां शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा तक नहीं है. पढ़ें पूरी खबर..

समस्तीपुर में एक ही भवन में चलता है दो स्कूल
समस्तीपुर में एक ही भवन में चलता है दो स्कूल

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 20, 2023, 4:57 PM IST

समस्तीपुर के सरकारी विद्यालय की बदतर हालत

समस्तीपुरः बिहार के सरकारी स्कूलों की हालत सरकार से छुपी नहीं है. फिर भी सरकार इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को लेकर लापरवाह नजर आती है, या यूं कहें शिक्षा अधिकारियों की सुस्ती के कारण कई सरकारी विद्यालयों की हालत आज तक नहीं सुधरी, वहीं शिक्षा विभाग के अपर मख्य सचिव केके पाठक बच्चों के स्कूल नहीं आने पर नाम काट देने का फरमान जारी कर चुके हैं. ऐसे में ये बच्चे स्कूल तो आ जाएं लेकिन सुविधाओं के अभाव में वो पढ़ाई कैसे करें और स्कूल में मन कैसे लगाएं?

सरकारी विद्यालय में शौचालय नहींःदरअसल समस्तीपुर जिले के चीनी मिल कैंपस में बने सरकारी विद्यालय में शौचालय नहीं है, जिससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बच्चों को बाथरूम जाने के लिए अपने घर जाना पड़ता है, लेकिन शिक्षा विभाग के द्वारा इस और कोई ध्यान नहीं है. हैरानी की बात तो ये है कि एक ही भवन में यहां दो-दो स्कूल अलग-अलग शिफ्ट में चल रहे हैं. कुछ क्लास के बच्चों को तो जमीन पर ही बैठकर पढ़ाई करना पड़ता है.

स्कूल में पढ़ते बच्चे

एक ही भवन में चलता है दो विद्यालयः एक भवन में दो विद्यालयों का संचालन तो होता है, लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा यहां एक भी शौचालय नहीं दिया गया. बच्चों को जब बाथरूम जाना होता है, तो वो आस-पास कहीं चले जाते हैं या फिर अपने घर में जाते हैं. वहीं यहां की प्रिंसिपल अनिता कुमारी के द्वारा जानकारी दी गई कि सभी बच्चे लोकल हैं और लोकल रहने के कारण सभी बच्चे अपने घर में बने शौचालय में जाते हैं, लेकिन सरकारी विद्यालय परिसर में शौचालय नहीं बनाया गया है.

"सभी बच्चे स्थानीय हैं. अगल-बगल के हैं बाथरूम लगने पर वह अपने घर चले जाते हैं. स्कूल कैंपस में बाथरूम नहीं है. परेशानी तो होती है. बच्चों को अपने घर जाना पड़ता है. कैंपस के बाहर एक शौचालय है, वहां साफ-सफाई नहीं है. गंदा पड़ा हुआ है"- मंजूर आलम, शिक्षक

जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर बच्चे

स्कूल में व्यवस्था नहीं तो कैसे पढ़ें बच्चे?:अब सवाल ये है कि सरकार द्वारा जब बच्चों के स्कूल आने पर जोर दिया जा रहा है, तो स्कूल में व्यवस्था भी बेहतर होनी चाहिए. ताकी बच्चों को पढ़ाई को दौरान कोई परेशानी ना हो और शिक्षक भी बेहतर ढंग से बच्चों को पढ़ा सकें. पठन-पाठन को लेकर सभी व्यवस्था स्कूल में दी जा रही है तो बच्चे बाथरूम जैसी जरूरी सुविधा से वंचित क्यों हैं. इसे लेकर प्रधानाध्यापक से जब सवाल किया गया तो वो अलग ही दलील देते हुए नजर आईं.

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