समस्तीपुरः जिले के आठ प्रखंड के करीब डेढ़ लाख लोग बाढ़ से हलकान हैं. तबाही लेकर आई इस बाढ़ का असर खेतों पर भी पड़ा है. गंडक और बागमती के पानी ने कई खेतों की फसल को डुबो दिया है. बाढ़ प्रभावित किसानों को अब वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की भी चिंता सताने लगी है.
जिले में बागमती, गंडक, करेह समेत कई नदियों के कहर से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. बाढ़ का पानी थोड़ा थमा तो इसमे डूबे घर जरूर दिखने लगे. लेकिन बीते कुछ दिनों के अंदर पानी ने जो तबाही मचाई है, उसका असर इन प्रभावित लोगों को लंबे समय तक झेलना होगा.
खेत में घुसा बाढ़ का पानी 35 हजार हेक्टेयर की फसल बाढ़
दरअसल बाढ़ प्रभावित इन क्षेत्रों में लोगों की कमाई का मुख्य जरिया माने जाने वाले खेतों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. लहलहाते खेतों में फसल के जगह सिर्फ पानी ही पानी फैला है. आंकलन के अनुसार जिले के बाढ़ प्रभावित सभी आठ ब्लॉक में लगे करीब 35 हजार हेक्टेयर की फसल बाढ़ ने बर्बाद कर दी.
प्रभावित लोगों को अब चिंता इस बात की है कि आगे कैसे अपने परिवार को चलाएंगे. प्रकृति के इस कहर से प्रताड़ित लोगों की नजर अब सरकार पर टिकी हैं. ताकि यह फिर से अपने पैरों पर खड़े हो सके.
आंकड़े जुटा रहा है कृषि विभाग
बहरहाल बाढ़ में अपना सब कुछ गंवा चुके इन प्रभावित लोगों को वक्त रहते बेहतर मदद मिले इसको लेकर धरातल पर कुछ योजनाएं बनाई जा रही हैं. खासतौर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हुए नुकसान और उसकी भरपाई को लेकर जिला कृषि विभाग आंकड़ा जुटा रहा है. जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार बाढ़ ने हजारों एकड़ की फसल को बर्बाद किया है. जिसका आंकलन किया जा चुका है. जल्द इन प्रभावित लोगों तक मदद पंहुचाई जायेगी.
कर्ज लेकर की थी किसानों ने खेती
गौरतलब है कि जिले के कल्याणपुर, हसनपुर, विथान, मोरवा, सरायरंजन समेत अन्य कई ब्लॉक में किसानों के मेहनत पर बाढ़ ने पानी फेर दिया है. सबसे चिंता में वैसे बाढ़ प्रभावित किसान हैं, जिन्होंने बेहतर मानसून को देखते हुए कर्ज लेकर खेती की थी. लेकिन सब फसल डूब गई.