समस्तीपुर:राज्य सरकार हर साल शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर करोड़ों का बजट आवंटित करती है. इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का हालत बद से बदतर है. मोरवा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरवाहा गोढ़ियारी स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बच्चे इसी हालात से समझौता कर पढ़ने को विवश हैं.
यहां पढ़ने वाले बच्चे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार से हमें न तो ड्रेस चाहिए और न ही भोजन. लेकिन बैठने के बेंच जरूरी है. बोरे पर बैठकर पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है. क्लासरूम में पंखा भी नहीं है. गर्मी के दिनों में बिना पंखे के पढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता है. सुविधा की कमी के कारण पढ़ाई भी बाधित होती है.
उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरवाहा गोढ़ियारी में सुविधा का है घोर अभाव बुनियादी सुविधाओं का अभाव
यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. शिक्षकों की भी कमी है. कहने को तो यहां कक्षा एक से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई होती है. लेकिन यहां के बच्चों को कितना ज्ञान है इसका पता तब चला जब एक आठवीं क्लास की बच्ची से ईटीवी भारत के संवाददाता ने सवाल पूछा. बच्ची ने जो जवाब दिया वो काफी हैरान कर देने वाला था. उसे न तो दिल्ली का स्पेलिंग पता है और न ही साइंस का. जबकि इस विद्यालय में इंग्लिश और साइंस की पढ़ाई होती है. बच्ची को यह भी नहीं पता कि लखनऊ कहां की राजधानी है.
जमीन पर बैठकर पढ़ने पर छात्र मजबूर सरकार की ओर से मात्र 20 डेस्क मिला
बच्ची के जवाब से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में बच्चों को कितनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है. मामले पर जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुरेश राम से बात की गई तो उन्होंने संसाधन की कमी होने की बात कहीं. उन्होंने कहा कि विद्यालय में जो संसाधन है उसी में हम बच्चे का पठन-पाठन करा रहे हैं. मात्र क्लास आठ के बच्चों के लिए 20 बेंच डेक्स मिला है. बाकी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं.
वीरेंद्र कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक शिक्षकों की भी है कमी
उन्होंने कहा कि सरकार स्वच्छ भारत मिशन का नारा देती है. इस अभियान के तहत कई गांव को जोड़ा जा रहा है लेकिन इस विद्यालय की ओर किसी का ध्यान नहीं. विद्यालय में मात्र दो शौचालय है. इससे काफी परेशानी होती है. इतने बच्चों के बीच मात्र 9 शिक्षक हैं. जैसे तैसे पढ़ाई कराया जा रहा है. इसकी जानकारी विभाग को बराबर दी जाती रही है लेकिन कभी किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.
जिला शिक्षा अधीक्षक ने समस्याओं को दूर करने का दिया भरोसा
मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मोरवा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी को उस विद्यालय में जांच के लिए भेजा जा रहा है. जैसे ही जांच रिपोर्ट आती है, उन सभी समस्याओं को दूर किया जाएगा. बता दें कि लालू के शासनकाल में इस चरवाहा विद्यालय का निर्माण कराया गया था ताकि खेतों में जानवर चराने वाले बच्चे भी इस विद्यालय में आकर पढ़ सकें. लालू के समय में इस चरवाहा विद्यालय में सिर्फ अनुसूचित जाति के बच्चे पढ़ा करते थे. लेकिन सुशासन की सरकार में इस विद्यालय को बंद करके सामान्य विद्यालय का दर्जा दे दिया गया. आज इसमें सभी जाति के बच्चे पढ़ रहे हैं.