समस्तीपुर:जिले में लोकसभा उपचुनाव में मतदाताओं ने बड़ी संख्या में नोटा का बटन दबाया. नोटा के चिन्ह का इतना इस्तेमाल हुआ कि 8 में से 5 उम्मीदवारों को नोटा से भी कई फीसदी कम वोट मिले. यही नहीं बीते कई चुनाव के आंकड़ों से पता चलता है कि जिला नोटा के इस्तेमाल में राज्य के अन्य जिलों में सबसे ऊपर रहा है.
समस्तीपुर उपचुनाव में NOTA का दबदबा, 8 में से 5 उम्मीदवारों को छोड़ा पीछे - by-election
अगर जिले में नोटा से जुड़े कुछ आंकड़ो पर गौर करें तो, 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे बिहार में समस्तीपुर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतदाताओं नोटा का बटन दबाया है. यहां कुल 29 हजार 2 सौ 11 नोटा पर वोट पड़े हैं. वैसे 2019 में यह नोटा के मामले में तीसरे स्थान पर रहा.
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नेताओं पर हावी रहा नोटा
नोटा मतलब 'नन ऑफ द एवब', जिले में नोटा का इस्तेमाल समस्तीपुर लोकसभा उपचुनाव के दौरान मतदाताओं ने खूब किया. बीते दिनों के नतीजों को देखें तो 25 हजार 6 सौ 94 मतदाताओं ने सभी उम्मीदवारों को नकारते हुए नोटा का बटन दबाया. एनडीए गठबंधन, महागठबंधन और एक निर्दलीय उम्मीदवार को छोड़कर, बाकी के 5 उम्मीदवार तो नोटा से काफी पीछे रह गए. इस उपचुनाव में नोटा के बढ़े इस्तेमाल पर सत्तारूढ़ दल के नेता रामसुमरण सिंह ने कहा कि अब विकास हो रहा, लेकिन पता नहीं क्यों मतदाता नोटा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
चुनाव में समस्तीपुर नोटा के मामले में आगे
अगर जिले में नोटा से जुड़े कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो, 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे बिहार में समस्तीपुर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतदाताओं नोटा का बटन दबाया है. यहां कुल 29 हजार 2 सौ 11 नोटा पर वोट पड़े हैं. वैसे 2019 में यह नोटा के मामले में तीसरे स्थान पर रहा, यहां नोटा को 35 हजार 5 सौ 17 मत मिले थे. वहीं चुनाव विशेषज्ञ का मानना है कि नोटा के बढ़ते इस्तेमाल को गंभीरता से लेना चाहिए. साथ ही चुनाव आयोग नोटा को ईवीएम में सही स्थान पर जगह देना चाहिए.