समस्तीपुर: लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में नेता और प्रशासन ने पसीने जरुर बहाएं लेकिन मतदान को लेकर मतदाता उदासीन नजर आये. इस उपचुनाव में काफी कम मतदाताओं ने वोट किया है. मतों के आकड़े कम होने के कारण नेता सकते में हैं.
मतदान के दौरान मतदाताओं को बेहतर सहूलियत के लिए निर्वाचन आयोग ने नया प्रयोग किया और मोबाइल एप की सुविधा दी. वोटिंग को लेकर जिला प्रशासन भी मुस्तैद रही, बावजूद इसके धरातल पर मतदाताओं को उत्साहित नहीं किया जा सका. यही कारण है कि इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव की तुलना में इस अपचुनाव में 15.61 फीसदी कम वोटिंग हुई.
45.19 फीसदी मतदाताओं ने किया वोट
मौसम अनुकूल होने के बावजूद महज 45.19 फीसदी मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वोटिंग को लेकर मतदाताओं में कम जोश होने के कारण सियासी दल जरूर सकते में हैं क्योंकि मतों के फीसदी में अधिक इजाफा या फिर कम, नतीजों पर असर डाल सकता है.
'मतदान में गिरावट आना आम बात'
समस्तीपुर सीट को फिर से हासिल करने में जुटे एनडीए उम्मीदवार प्रिंस राज का कहना है कि मतदान में गिरावट उपचुनाव में आम बात है. इसके कई तकनीकि पक्ष होते है. लेकिन नतीजे एनडीए के पक्ष में ही होंगे. इधर, महागठबंधन ने इस कम मतदान को सत्तारूढ़ दल के खिलाफ मतदाताओं का गुस्सा बताया. राजद नेता विनोद राय ने कहा कि जनहित के सभी मामलों में केंद्र और राज्य की सरकार फेल है. इसलिये जनता ने कम वोटिंग कर उन्हें करारा जवाब दिया है.
प्रिंस राज, एनडीए उम्मीदवार क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ
इधर, राजनीतिक विशेषज्ञ जयशंकर सिंह का कहना है कि कम वोटिंग होने का कारण निर्वाचन आयोग की कमी है. उन्होंने इसके लिये केंद्र और राज्य सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार सभी दलों के प्रत्याशियों ने जोर-शोर से प्रयार नहीं किया है जिसका नतीजा है कि मतों में गिरावट आई. बहरहाल, कल उपचुनाव का परिणाम घोषित होना है. ऐसे में देखना है कि मतों में आई गिरावट का कितना असर नतीजे पर पड़ता है.
जयशंकर सिंह, राजनीतिक विशेषज्ञ