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पूसा कृषि विश्वविद्यालय को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय सम्मान, दुनिया भर में सिर्फ 5 का हुआ है चयन - पूसा विश्विद्यालय

पूसा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना 1905 में एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट एंड कॉलेज के नाम से हुई थी. 1970 में इसका नाम बदलकर भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया.

राजेन्द्र प्रसाद कृषि केंद्रीय विश्विद्यालय
राजेन्द्र प्रसाद कृषि केंद्रीय विश्विद्यालय

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Published : Jan 2, 2020, 3:20 PM IST

समस्तीपुरःजिले के पूसा प्रखंड स्थित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिलेगा. ये सम्मान विश्वविद्यालय में नए प्रयोग, सोलर एनर्जी और कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में मिलेगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले एशिया पेसिफिक ट्रिपल अवार्ड के लिए पूरे विश्व के सैकड़ों विश्वविद्यालय में से सिर्फ 5 को चुना गया है. जिसमें राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय का नाम भी शामिल है.

पहली बार मिल रहा है अंतरराष्ट्रीय सम्मान
विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाला ये सम्मान पहली बार मिल रहा है. इस अवार्ड के लिए जापान, आस्ट्रेलिया, तुर्की और एशिया महादेश में भारत से 2 देशों का चयन हुआ है. जिसमें पूसा कृषि विश्वविद्यालय और आईआईटी गुवाहाटी का भी नाम है.

विश्वविद्यालय में लगा हुआ सोलर एनर्जी सेट

'बड़े बदलावों का वाहक रहा है विश्वविद्यालय'
इस बाबत विश्वविद्यालय के कुलपति आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि ये अवार्ड विश्वविद्यालय को नए प्रयोगों के लिए दिया जा रहा है. विश्वविद्यालय में सोलर एनर्जी और कचरे से खेती करने वाला खाद बनाने को लेकर काफी महत्वपूर्ण काम किए गए हैं. विश्वविद्यालय से स्वच्छ वातावरण बनाने की कवायद शुरू हुई थी, जिसका असर दिख रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

3 साल पूर्व मिला था केंन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा
गौरतलब है कि पूसा कृषि विश्वविद्यालय को 3 साल पहले 2016 में केंन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था, जिसके बाद पर्यावरण के लिए कई अहम कार्य किए गए. इसकी स्थापना 1905 में एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट एंड कॉलेज के नाम से हुई थी. 1970 में इसका नाम बदलकर भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया.

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