समस्तीपुर: वर्तमान विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास होने वाला है. दरअसल, जनता के तराजू में लालू शासनकाल का 15 साल व नीतीश शासन के 15 साल होंगे. वहीं, अगर कर्पूरी की धरती समस्तीपुर में 15 साल बनाम 15 साल की बात की जाए तो, दोनों दल अपने अपने शासन के उपलब्धियों के बबलबुते इस चुनाव एक दूसरे को पटकनी देने का दंभ भर रहे हैं.
15 साल बनाम 15 की राजनीति समस्तीपुर को समाजवादियों का गढ़ भी माना जाता है. एक बार फिर जारी चुनावी दंगल में जिले के 10 विधानसभा सीटों पर जंग निर्णायक होने वाला है. वैसे कौन किस पे भारी होता है. यह तो आने वाला वक्त तय करेगा. लेकिन इस चुनाव कर्पूरी के इस धरती पर लालू बनाम नीतीश शासनकाल के 15-15 वर्षो का इतिहास व अतीत यंहा के वोटरों का दिशा जरूर तय करेगा.
सत्ताधारी दल के लोग खासे गदगद
वैसे अगर सियासी सवालों में जाए तो, वर्तमान नीतीश शासनकाल के कामों से जिले में सत्ताधारी दल के लोग खासे गदगद है. उनका तर्क है कि लोगों ने कुव्यवस्था के शासनकाल वह 15 वर्ष भी देखा है, जिसमें चारों तरफ सिर्फ अराजकता का आलम था. लोगों का कहना है कि वर्तमान 15 साल के शासनकाल में जिला विकास के शीर्ष पर पंहुचा है.
'विकास के पीछे लूट का खेल'
सत्ताधारी दल के लोग खासे उत्साहित है. राजद 15 साल बनाम 15 साल के शासनकाल पर अपना पक्ष व जिले में इसके असर को देखते हुए वर्तमान सरकार पर सवाल उठा रहा. राजद नेताओं का आरोप है कि वर्तमान नीतीश सरकार में जिले के लोगों का नही कुछ खास लोगों का विकास हुआ. सड़क बिजली जैसे विकास के एजेंडे का को दंम भरा जा रहा है. लेकिन उसके पीछे लूट का खेल हो रहा. लालू के शासनकाल ने पिछडों व दलित समाज का विकास किया. जनता हमारे व वर्तमान सरकार के शासन का माकूल जवाब इस चुनाव में देंगे.
2015 के विस चुनाव चुनाव में भाजपा ने समस्तीपुर, मोरवा, मोहिउद्दीननगर, सरायरंजन और रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि कल्याणपुर, विभूतिपुर और वारिसनगर सीट लोजपा के खाते में गयी थी. वहीं उजियारपुर और हसनपुर सीट रालोसपा को दी गयी थी. तब एनडीए ने सभी जगहों पर महागठबंधन को चुनौती दी थी. कड़ी टक्कर के बावजूद एनडीए एक भी सीट नहीं जीत पाया. भाजपा ने रोसड़ा की अपनी जीती सीट भी गंवा दी थी. तब जदयू महागठबंधन का हिस्सा था. जदयू को पिछले चुनाव में हसनपुर, वारिसनगर, विभूतिपुर, कल्याणपुर, सरायरंजन और मोरवा में जीत मिली थी.