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उपचुनाव: जननायक कर्पूरी ठाकुर के गांव में मतदान को लेकर लोगों में उत्साह

उपचुनाव में वोटिंग को लेकर कर्पूरी ग्राम में मतदाताओं की भीड़ सुबह से ही मतदान केंद्र पर नजर आ रही है. वहीं, प्रदेश में उपचुनाव को लेकर 5 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर मतदान जारी है.

Karpoori Thakur

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Published : Oct 21, 2019, 11:20 AM IST

Updated : Oct 21, 2019, 1:46 PM IST

समस्तीपुर : प्रदेश की सियासत में खास स्थान रखने वाली कर्पूरी ठाकुर की धरती पर आज उपचुनाव की वोटिंग जारी है. लोकसभा उपचुनाव को लेकर वोटिंग चल रही है. वहीं, यहां के मतदाताओं में वोटिंग को लेकर काफी उत्साह है. बता दें कि प्रदेश में उपचुनाव को लेकर 5 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर मतदान जारी है.

उपचुनाव में वोटिंग को लेकर कर्पूरी ग्राम में मतदाताओं की भीड़ सुबह से ही मतदान केंद्र पर नजर आ रही है. सुरक्षा के मद्देनजर यहां सीआरपीएफ और बिहार पुलिस के जवान तैनात हैं. वैसे सुबह के वक्त से ही पुरुष और महिला मतदाता यहां काफी उत्साहित होकर मतदान कर रहे हैं. इस बार उपचुनाव के जंग में सियासी दलों ने कई मुद्दे जरूर उठाये, लेकिन जननायक के इस गांव में वोटरों ने विकास के नाम पर वोट देने की बात कही.

उपचुनाव को लेकर वोटिंग जारी

24 अक्टूबर को आएंगे मतदान की नतीजे
बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट के साथ ही नाथनगर, सिमरी बख्तियारपुर, दरौंदा, बेलहर और किशनगंज विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर वोटिंग जारी है और 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे.

भारी सुरक्षा के बीच हो रहा उपचुनाव

समस्तीपुर लोकसभा सीट
लोक जनशक्ति पार्टी से सांसद रामचंद्र पासवान के निधन के चलते समस्तीपुर लोकसभा सीट रिक्त हुई है. एनडीए के तहत यह सीट एलजेपी के खाते में आई है और पार्टी ने रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज को मैदान में उतारा है तो वहीं, महागठबंधन की ओर से पुराने प्रत्याशी कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार एक बार फिर ताल ठोक रहे हैं. इस सीट पर कुल आठ प्रत्याशी मैदान में हैं.

मतदान करने पहुंचे लोग

जननायक कभी चुनाव नहीं हारे
प्रदेश की राजनीति में जननायक का अहम रोल था. कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया नामक गांव में हुआ. इनके माता-पिता का नाम रामदुलारी देवी और गोकुल ठाकुर था. वे नाई जाति से थे और अपने कॉलेज के दिनों से ही वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए और गिरफ्तार हुए. वे आजादी के बाद 1952 में हुए पहले आम चुनाव में बतौर जननेता लड़े और बिहार विधानसभा पहुंचे. उसके बाद बिहार की मजलूम जनता ने उन्हें हमेशा सर आंखों पर ही बिठा कर रखा. वह चुनाव कभी नहीं हारे. उन्होंने भी अपना पूरा जीवन जनता के मुद्दों के लिए लड़ते हुए और समाधान करते हुए बिता दिया. उनका 17 फरवरी 1988 को अचानक निधन हो गया.

Last Updated : Oct 21, 2019, 1:46 PM IST

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