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'पूरे परिवार ने एक साथ लगाई फांसी, बाकी सब ठीक है'.. सूदखोर साहूकार या सिस्टम, जिम्मेदार कौन?

बिहार के समस्‍तीपुर जिले में रविवार को कर्ज के बोझ तले दबे एक परिवार के पांच सदस्यों की सामूहिक आत्‍महत्‍या (Five people committed suicide In Samatipur) की घटना ने सबको झकझोड़ कर रख दिया है. अब इस मामले में सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है. पढ़ें पूरी खबर

समस्तीपुर में सामूहिक आत्‍महत्‍या
समस्तीपुर में सामूहिक आत्‍महत्‍या

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Published : Jun 6, 2022, 6:52 PM IST

Updated : Jun 6, 2022, 8:27 PM IST

समस्तीपुर:बिहार के समस्तीपुर जिले से रविवार को दिल दहला देने वाली घटना सामने आई. यहां एक ही परिवार के पांच लोगों ने एक साथ फांसी लगाकर जान (Five People Hanged Together In Samastipur) दे दी. घटना का कारण आर्थिक तंगी बताई जा रही है. अब इस घटना पर सियासत (Politics over Samastipur government) भी खूब हो रही है. आरजेडी नेता तेजस्‍वी यादव ने इस घटना को इस घटना को डबल इंजन सरकार के लिए काला धब्‍बा बताया है. वहीं बेगूसराय के पूर्व सांसद और सीपीआी नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने इस घटना के लिए केन्द्री की मोदी सरकार और बिहार सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

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बेटियों ने कहा- यह आत्महत्या नहीं: पड़ोसियों के मुताबिक, मनोज अपनी पत्नी सुंदर मणि, मां सीता देवी और बच्चों सत्यम और शिवम के साथ घर में रहते थे. मनोज की दो शादीशुदा बेटियां हैं. उनकी एक बेटी पति के साथ मायके आई हुई थी. बेटी का कहना है कि, मैं और मेरे पति दूसरे कमरे में सोए थे. जब सुबह उठे तो देखा कि बगल वाला कमरा खुला है और घर के पांच लोगों के शव फंदे से लटके हुए हैं. बेटी का कहना है, ''उनके माता-पिता और भाइयों ने आत्महत्या नहीं की है, बल्कि उनकी हत्या की गयी है.''

बिहार में 5 लोगों ने दे दी जान, क्या था मामला? :समस्तीपुर जिले के मऊ धनेशपुर दक्षिण गांव में रविवार को परिवार के पांच लोगों के शव फंदे से लटकती मिली (Samastipur Mass Suicide Case) थी. मृतकों की पहचान मनोज झा (50), उसकी पत्नी सुंदरमनी देवी, उनकी मां सीता देवी और बच्चे सत्यम व शिवम के रूप में की गई है. बताया जाता है कि गांव के लोगों ने रविवार सुबह जब मकान का दरवाजा बंद देखा तो उन्हें शक हुआ और दरवाजा खोलने पर उन्होंने पूरे परिवार को फांसी से लटका देखा और पुलिस को सूचित किया.

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सामूहिक आत्महत्या पर पुलिस का क्या कहना है? : दलसिंहसराय के पुलिस उपाधीक्षक डी के पाण्डेय ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या मामला आत्महत्या का प्रतीत होता है. वैसे, पुलिस सभी बिन्दुओं पर जांच कर रही है. मनोज झा ने स्वयं सहायता समूह के अलावा कुछ और लोगों से कर्ज ले रखा था. इसे लौटाने का दबाव घटना का कारण हो सकता है.

''मनोज झा (50) ऑटो चलाता था और खैनी (कच्चा तंबाकू) बेचता था. रविवार सुबह जब गांव के लोगों ने सुबह जब मकान का दरवाजा बंद देखा तो उन्हें संदेह हुआ और दरवाजा खोलने पर उन्होंने झा, उसके बेटों शिवम (7), सत्यम (10), पत्नी सुन्दरमणी (38) और मां सीता देवी (67) को फांसी से लटका देखा और पुलिस को सूचित किया. पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.''- डी के पाण्डेय, पुलिस उपाधीक्षक

सामूहिक खुदकुशी की क्या वजह ?: सूत्रों के मुताबिक, झा परिवार ने कुछ कर्ज ले रखा था, जिस कारण परिवार दबाव में था. घटना का कारण आर्थिक तंगी बताई जा रही है. एक ग्रामीण ने बताया कि मृतक परिवार पर करीब तीन लाख रुपए का कर्ज था, जिसे लेकर परिवार काफी परेशान था. ग्रामीणों की माने तो मनोज किश्त भी नहीं चुका पा रहा था और कर्ज देने वाले लगातार पैसा लौटाने का दबाव बना रहे थे. ऐसे में माना जा रहा है कि इससे तंग आकर पूरे परिवार ने एक साथ खुदकुशी कर ली.

CM नीतीश ने कहा- दुर्भाग्यपूर्ण घटना : समस्तीपुर में एक ही परिवार के पांच लोगों द्वारा आत्महत्या मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. पूरा प्रशासन इस मामले की छानबीन में लगा हुआ है, मैं खुद व्यक्तिगत तौर पर मामले की निगरानी कर रहा हूं. हमें जल्द ही पता चल जाएगा कि पांचों लोगों की आत्महत्या के पीछे क्या कारण था?

तेजस्वी ने घटना पर क्या कहा? :बिहार के समस्तीपुर के विद्यापतिनगर थाना क्षेत्र में एक परिवार के पांच सदस्यों के आत्महत्या करने की घटना को विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (RJD Leader Tejasvi Yadav) ने सरकार के लिए काला धब्बा बताया है. आरजेडी नेता नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना को अत्यंत दर्दनाक और दुखद बताया. तेजस्वी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, ''समस्तीपुर में एक गरीब परिवार के सभी 5 सदस्यों ने गरीबी, भुखमरी, आर्थिक तंगी, महंगाई, बेरोजगारी और बदहाली से त्रस्त होकर सामूहिक आत्महत्या कर ली. यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना अत्यंत दर्दनाक, हृदय विदारक, दु:खद और कथित डबल इंजन सरकार के बड़बोलेपन पर करारा तमाचा एवं काला धब्बा है.''

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परिवार से मिला सीपीआई प्रतिनिधिमंडल :इधर इस सनसनीखेज वारदात के बाद सीपीआई प्रतिनिधिमंडल परिवार से मिलने पहुंचा, जिसमें बेगूसराय के पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह (Former Begusarai MP Shatrughan Prasad Singh), तेघरा से सीपीआई विधायक रामरतन सिंह, बछवाड़ा के पूर्व विधायक अवधेश राय, राज्य परिषद सदस्य राजेंद्र चौधरी, जिला मंत्री भाकपा समस्तीपुर मुन्ना सिंह शामिल रहे. इस मौके पर पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि ये घटना कोई साधारण घटना नहीं है. इससे पूरी मानवता कलंकित हुई है. उन्होंने सरकार और प्रशासन पर भी करारा हमला बोला.

''एक ऐसे समय में जब भारत सरकार और नीतीश सरकार दावा करती है कि हर घर राशन मिल रहा है, ऐसे में इस तरह कि घटना घट जाना सरकार के दावे को झुठलाती है. अंत्योदय योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना का किसी को भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. यह जानलेवा है. इसलिए जो नामजद अभियुक्त है, पुलिस उसकी गिरफ्तारी करें और 302 के तहत स्पीडी ट्रायल चले और सजा हो.''- शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद, बेगूसराय

'एक परिवार ने फांसी लगी ली, बाकी तो सब ठीक है' :वहीं, तेघड़ा विधायक रामरतन सिंह ने कहा कि परिवार को न्याय मिले इसके लिए सड़क से सदन तक आवाज उठाएंगे. रामरतन सिंह ने कहा कि, सरकार कहती है कि बिहार में सब कुछ ठीक है. लेकिन कहां ठीक है, गांव में भूखे मर रहे है, एक परिवार कर्ज के बोझ तले दबकर फांसी पर झूल जाता है, बाकी सब तो ठीके है. कल्याणकारी योजनाएं गांव के दलाल के चंगुल में फंसा हुआ है. गरीब लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.''

'कहा है सरकार?' :वहीं, बछवाड़ा के पूर्व विधायक अवधेश राय ने कहा कि वो पीड़ित परिवार की मदद के लिए हरसंभव तैयार हैं. उन्होंने कहा कि ''जब एक छोटी घटना घटती थी तो हजारों की भीड़ इकट्ठा होती थी. एक परिवार के पांच लोग मर गए लेकिन सरकार की तरफ से घर के लोगों से कोई मिलने नहीं आया. समझ लीजिए, समाज को तोड़ा जा रहा है. जलाया जा रहा है. सत्ता में बैठी सरकार समाज को बांटकर अपनी राजनीति चमकाना चाहती है.''

फिलहाल, जो भी हो, एक वक्त था जब कर्जदार कर्ज नहीं चुका पाता था तो साहूकार जबरन उसकी जमीन उसका घर हड़प लेता था. लेकिन आजादी के बाद देश में लोकतंत्र स्थापित हुआ, बैंकों का निर्माण हुआ, उनका विस्तार हुआ तो समझा जाने लगा कि अब इन साहूकारों का शोषण खत्म हो जाएगा. लेकिन क्या आजादी के 75 साल बाद भी ऐसा हो पाया है. ऐसे में इस परिवार ने सामूहिक जान दे दी. इसमें दोष किसका है, सूदखोर साहूकार या सिस्टम की नाकामी. कौन है इस पूरे परिवार की मौत का जिम्मेदार?

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Last Updated : Jun 6, 2022, 8:27 PM IST

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