समस्तीपुर: स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति केवल एक-दो अस्पतालों में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में है. समस्तीपुर के वारिसनगर प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी वेंटिलेटर के सहारे जीवित है. 20 पंचायतों वाले इस प्रखंड के पीएचसी का हाल-बेहाल है. जिस कारण यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
आलम यह है कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी महिला डॉक्टर नहीं है. जिस कारण यहां इलाज के लिए आने वाली महिला मरीजों को खाली हाथ लौटना पड़ता है. यहां के डॉक्टर और कर्मी सिर्फ दिन काटते नजर आते हैं. नतीजतन यह पीएचसी आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है.
20 पंचायतों के लोग निर्भर
20 पंचायतों का भार लिए हुए वारिसनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुविधा नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अस्पताल को खुद ही इलाज की जरूरत है. हैरत की बात यह है कि वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए बेड पर चादर तक नहीं है. बता दें कि बदहाली इतनी है कि महिलाएं एनएम के भरोसे प्रसव कराने आती हैं. स्थिति जब अनियंत्रित हो जाती है तो महिला मरीज को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट भगवान भरोसे चल रहा पीएचसी
यहां कार्यरत एएनएम का बताना है कि यहां स्वास्थ्य कर्मियों को रहने के लिए आवास भी नहीं है. महिला डॉक्टर नहीं है. जिससे प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर का बताना है कि पीएचसी में व्यवस्था की कमी के कारण कर्मी किसी तरह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. जो भी सुविधाएं हैं बस उसी के सहारे किसी तरह इलाज होता है.