समस्तीपुर: जिले में उपचुनाव के महज चंद दिन शेष बचे हैं. सत्तारूढ़ दल ने अपनी इस सीट को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. वहीं, महागठबंधन ने सेंटीमेंटल तरीके से वोटरों को अपने पाले में लाने का प्रयास शुरू कर दिया है. खास बात यह है कि महागठबंधन ने स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे जैसे दो अहम मुद्दों पर अचानक अपना स्टैंड लिया है.
समस्तीपुर लोकसभा सीट की जंग निर्णायक मोड़ पर है. एनडीए जहां इसे अपना सुरक्षित गढ़ मानकर हुंकार भर रही है. वहीं, उसे एक बड़े सहानुभूति वोट की आस भी है. वहीं, दूसरी तरफ संगठन और अन्य कई मामलों में कमजोर महागठबंधन के पास खोने को कुछ खास नहीं. लेकिन उसे यह पता है कि कैसे आखिरी वक्त में मतदाताओं का मन बदला जा सकता है. यही वजह है कि महागठबंधन ने अचानक दो अहम मुद्दों के जरिए जनता को सेंटीमेंटल तरीके से अपने पाले में लाने का प्रयास शुरू किया है.
महागठबंधन का स्टैंड...
महागठबंधन इस लोकसभा क्षेत्र के हर एक वोटर से स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे पर वोट करने की अपील कर रहा है. इस लोकसभा क्षेत्र के सभी बंद उद्योगों का मुद्दा मजबूती से उठाया जा रहा है. साथ ही जनता को यह भी समझाने का प्रयास शुरू हो गया है कि इस क्षेत्र का विकास स्थानीय सांसद कर सकता है न की कोई बाहरी.
महागठबंधन लगा रहा पूरा जोर एनडीए के पास नहीं कोई तोड़
वैसे सही मायनों में महागठबंधन के पास इन दो मुद्दों का तोड़ एनडीए के पास नहीं है. बीते कई वर्षों में यहां न तो कोई उद्योग लगा है और जो भी उद्योग-धंधे थे वे भी बंद हो गए हैं. वहीं, एनडीए गठबंधन में लोजपा ने स्थानीय चेहरे को कभी मैदान में नहीं उतारा है. यहां एनडीए पीएम मोदी के विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ रहा है.
- भले हवा का रुख एनडीए के पक्ष में चल रहा हो. लेकिन महागठबंधन ने जिस अंदाज से स्थानीय मुद्दे और स्थानीय चेहरे के जरिए जनता की नब्ज टटोलनी शुरू की है. उससे लगता है कि ये आखिरी दिन चुनाव के परिणामों पर असर डालेगा.