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Navratri 2023: इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मुरादे होती हैं पूरी!..महामारी से लोगों को बचाने के लिए आई थी मां दुर्गा

समस्तीपुर में नवरात्र (Navratri In Samastipur) को लेकर श्रद्धालुऔं की भीड़ मंदिरों में नजर आ रही है. उधर मणिपुर गांव में स्थित मैया स्थान में भी भक्तों का ताता लगा है. यहां आकर भक्त जो भी मनोकामना मांगते हैं, मां उसे जरूर पूरा करती हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 17, 2023, 12:33 PM IST

समस्तीपुर में मैया स्थान
समस्तीपुर में मैया स्थान

समस्तीपुर में मैया स्थान

समस्तीपुर: नवरात्र में 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है. समस्तीपुर जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर मणिपुर गांव में मां दुर्गा का एक अलौकिक मंदिर है. यह मैया स्थान के नाम से भी विख्यात है. यहां के बारे में बताया जाता है कि जो भी भक्त यहां मुरादे लेकर आते हैं उनकी हर मुराद को मां पूरा करती है. खास करके नवरात्र के समय में सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बड़ी संख्या में महिलाएं यहां पूजा करने पहुंचती है और नारियल को फोड़ कर चढ़ाती हैं. मान्यता है कि इससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.

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सपने में आई माता:इस मंदिर की ख्याति पूरे प्रदेश में है, श्रद्धालुओं के आस्था को देख पर्यटक विभाग ने इसे पर्यटन स्थल घोषित करने वाली सूची में शामिल किया है. जल्द ही यह पर्यटक स्थल के रूप में घोषित किया जाएगा. इस मंदिर के पीछे एक बड़ी कहानी बताई जाती है. लगभग 200 साल पहले इस गांव में हैजा महामारी फैल गई थी और प्रतिदिन सैकड़ो लोगों की मौत हो रही थी. उस समय तपस्वी सत्पुरुष श्री रामखेलावन दास को मां दुर्गा ने स्वप्न दिया कि तुम मुझे पिंडी के रूप में यहां पूजा करोगे तो मैं पूरे गांव के लोगों को मरने नहीं दूंगी.

नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा

यहां महामारी से नहीं मरते हैं लोग:रामखेलावन दास ने यह बात गांव के लोगों को बताई और सभी के द्वारा माता को पिंड के रूप में स्थापित कर पूजा पाठ शुरू की गई. धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो गई और आज तक कोई भी इस गांव में है फ्लैग नामक से नहीं मरा और यह बीमारी समाप्त हो गई. गांव के लोग पिंड रूप में माता की पूजा अर्चना करने लगे. बताया जाता है कि 1936 में एक श्रद्धालु भक्ति में इतना लीन हो गया कि उसने एक कट्ठा 18 धूर जमीन इस मंदिर को दान दे दिया. यहां पुजारी वासुदेव नारायण ने रामखेलावन दास के मरने के बाद खुद पुजारी का कार्य भार संभाला. उसके बाद उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया.

"अयोध्या से ब्राह्मण पुरोहितों को आमंत्रित कर पिंडी को मंदिर में स्थापित कराया गया. कुछ माह पश्चात मूर्तिकारों से मिट्टी की बनी माता की प्रतिमूर्ति स्थापित की गई. जो मलमास उपरांत 3 वर्षों के बाद विसर्जित कर दिया जाता था लेकिन धीरे-धीरे यह मंदिर विकसित हुआ. आज सिद्ध पीठ के नाम से या मंदिर स्थापित हो गया और प्रदेश एवं अन्य राज्यों से लोग यहां पूजा करने आते हैं."- विनोद सिंह, ग्रामीण

मणिपुर गांव में मैया स्थान

नवरात्र में भारी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु: बताया जाता है कि जो लोग यहां पूजा अर्चना करने आते हैं और जो भी मुराद लेकर पहुंचते हैं उनकी मुराद यहां पूरी होती है. यहां के पुजारी विपिन झा ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले तो मोबाइल और अन्य चीज नहीं थी लेकिन अब मोबाइल के कारण इस मंदिर के बारे में सभी लोगों को जानकारी मिल रही है. दूर-दूर से लोग आते हैं खास करके नवरात्र में लोग पूजा अर्चना करने आते हैं.

"सबसे बड़ी बात है कि इस मंदिर के चौखट पर माथा टेकना एवं फूल चढ़ाने का महत्व है. भक्त मुराद लेकर आते हैं मैया यहां मुराद पूरी करती है. आज इस मंदिर में मां दुर्गा की एक भव्य प्रतिमा को भी स्थापित कर दिया गया है. यह मंदिर पूरे प्रदेशों में मणिपुर वाली मैया के नाम से प्रसिद्ध है. जल्द ही पर्यटक स्थल के रूप में विश्व विख्यात हो जाएगा."- विपिन झा, पुजारी

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