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समस्तीपुरः सरकारी लापरवाही से दम तोड़ रही है हरियाली मिशन योजना, DDC ने भेजा नोटिस

बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी हरियाली योजना सरकारी अधिकारियों के कारण दम तोड़ रही है. जिले के कई बीडीओ की लापरवाही के कारण यह अभियान फेल हो गया है. डीडीसी वरुण कुमार मिश्रा ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेज कर जवाब मांगा है.

समस्तीपुर में फेल हो रही हरियाली मिशन योजना

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Published : Aug 28, 2019, 10:17 AM IST

समस्तीपुर: बिहार के सभी जिलों में मिशन हरियाली योजना चलायी जा रही है. इसके अन्तर्गत लाखों पौधे लगाए जा रहे हैं. लेकिन समस्तीपुर जिले में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह योजना धरातल पर दम तोड़ रहा है. जिले के 10 प्रखंड में शुरू होते ही यह अभियान फेल हो गया है.

समस्तीपुर में पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए हरियाली योजना का जोरशोर से प्रचार-प्रसार किया गया. अभियान के तहत जिले में 8 लाख पौधा लगाने का लक्ष्य तय किया गया. लेकिन जिले के 10 प्रखंडों में इस अभियान ने दम तोड़ दिया. जिससे नाराज डीडीसी ने अधिकारियों को नोटिस भेजा है.

डीडीसी

नोटिस भेज डीडीसी ने बीडीओ से मांगा स्पष्टीकरण
समस्तीपुर जिला प्रशासन सूत्र के मुताबिक, डीडीसी वरुण कुमार मिश्रा ने हरियाली मिशन में लापरवाही बरतने वाले बीडीओ को नोटिस भेजा है. डीडीसी ने नोटिस भेज हरियाली अभियान में पिछड़ने का कारण पूछा है.

कैसा रहा जिले का प्रदर्शन

  • 1 से 15 अगस्त तक हरियाली पखवाड़ा के तहत लगाने थे 2.5 लाख पौधे.
  • जिले में लगे महज 1.19 लाख पौधे.
  • सबसे खराब प्रदर्शन पटोरी और विद्यापतिनगर ब्लॉक का रहा, जहां महज 1-1 हजार पौधे लगे.
  • वारिसनगर, सिंघिया, मोहनपुर, समस्तीपुर, शिवाजीनगर समेत कई ब्लॉक भी लक्ष्य से रहे काफी पीछे.
    ईटीवी भारत संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

कुछ भी बोलने से डीडीसी का इनकार
सूत्रों के अनुसार बीडीओ के इस उदासीन रवैये को लेकर डीडीसी ने सभी से स्पष्टीकरण मांगा है. हालांकि ईटीवी के कैमरे पर डीडीसी ने पर्यावरण को लेकर बीडीओ की लापरवाही पर कुछ भी बोलने इनकार कर दिया. वहीं, पर्यावरण संरक्षण मुहिम से जुड़े लोगों ने इन सरकारी बाबुओं की उदासीनता पर सवाल उठाया है. सामाजिक कार्यकर्ता मणिकांत सिंह ने सरकारी अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया है.

कागजों पर चल रही योजना
उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी पौधे को बेच देते हैं. गलत तरीके से बिल पास कराया जाता है. यह योजना सिर्फ कागजों पर ही चलती है. जनता अपने पैसे से पौधे लगा रही है. लेकिन सरकारी योजनाओं में बंदरबाट की जा रही है. इस मामले में जिले के तमाम वरीय अधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए. शुरुआती अभियान में फेल होने से आठ लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य पूरा होने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं.

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