समस्तीपुर: अयोध्या के राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर कुछ ही दिनों में बड़ा फैसला सुना दिया जाएगा. वहीं, राम मंदिर निर्माण के समर्थन में शुरू की गई रथ यात्रा से जुड़ी घटना गवाह बिहार का समस्तीपुर जिला रहा है. इस मुद्दे पर फैसले की घड़ी नजदीक है. ऐसे में उस घटना के गवाह रहे लोगों की यादें ताजा हो गई हैं.
समस्तीपुर जिला राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई रथ यात्रा से जुड़े उस पन्ने को अपने गर्भ में समेटे हुए है, जिसने देश की सरकार को गिरा दिया था. लालू यादव के एक बड़े आदेश के बाद जो हुआ उससे बीजेपी ने केंद्र में सत्तासीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई. उस समय सरकार में लालू यादव भी साझीदार थे.
यहां से हुई थी आडवाणी की गिरफ्तारी आडवाणी की गिरफ्तार का आदेश
दरअसल, बीजेपी के लौह पुरुष माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को राममंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाने की खातिर सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की थी. आडवाणी की ये यात्रा राज्य-दर-राज्य होते हुए 30 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या जानी थी, जहां वह मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए होने वाली 'कारसेवा' में शामिल होने वाले थे. लेकिन जैसे ही 25 अक्टूबर 1990 को आडवाणी की रथ यात्रा बिहार के समस्तीपुर पहुंची, तो प्रदेश के तत्कालीन सीएम लालू यादव के आदेश पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
गेस्ट हाउस से हुई थी गिरफ्तारी
लालू यादव के आदेश पर आडवाणी को जिले के अतिथि गृह से गिरफ्तार किया गया. आडवाणी की गिरफ्तारी की ठान चुके लालू यादव ने उनकी गिरफ्तारी उस समय करवायी, जब सारे कार्यकर्ता जा चुके थे. ऐसा कहा जाता है कि देर रात करीब दो बजे लालू यादव ने पत्रकार बनकर उन्हें फोन किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आडवाणी के साथ कौन-कौन है. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई. वहीं, लालू यादव ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें डर था कि समर्थकों के बीच गिरफ्तारी से बवाल हो सकता है.
क्या बोले प्रत्यक्षदर्शी...
ईटीवी भारत ने उस समय के प्रत्यक्षदर्शी और रथ यात्रा में शामिल रहे लोगों से जब बात की तो उन्होंने घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. लोगों का कहना है कि लालू यादव का लिया गया फैसला असंवैधानिक था. राम मंदिर निर्माण सभी लोग चाहते थे. अब कोर्ट का फैसला जो कुछ भी आता है, उसका हम स्वागत करेंगे. कुछ ने आडवाणी की गिरफ्तारी को प्रजातंत्र की हत्या बताया. वहीं, एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी बताया कि आडवाणी की गिरफ्तारी गैर कानूनी तरीके से हुई थी.
आयोध्या- भूमि विवाद पर फैसला
आयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर जल्द फैसला आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यों वाली बेंच इस मामले पर जल्द फैसला सुना सकती है. वहीं, इस फैसले को लेकर देश भर में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है. बात करें समस्तीपुर की, तो यहां भी प्रशासन अलर्ट पर है.