समस्तीपुर: बाजारवाद में गुम होते खादी परंपरा को कोरोना संकट काल ने और भी बदहाल कर दिया है. आलम यह है कि पिछले तीन महीनों से अन्य उत्पादों की जगह मास्क बना रहे खादी भंडार को बाजार में उपलब्ध डिजाइनर और अन्य रेडिमेड मास्क के लिए खरीदार नहीं मिल रहा है.
खादी के मास्क की अपेक्षा लोगों को भा रहा डिजाइनर मास्क, सरकारी संस्था भी नहीं ले रही रूचि - Khadi Bhandar Masks Of Khadi Bhandar
खादी ग्रामोद्योग भंडार को गुरबत से उबारने को लेकर कई प्रयोग हो रहे हैं. वहीं, काफी प्रयास के बाद भी धरातल पर इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है.
दरअसल, खादी ग्रामोद्योग भंडार को गुरबत से उबारने को लेकर कई प्रयोग हो रहे हैं. काफी प्रयास के बाद भी धरातल पर इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है. वहीं, कोरोना संकट काल में कई महीनों से इसके विभिन्न केंद्रों पर मानक के अनुरूप मास्क निर्माण पर जोर दिया जा रहा था. हालांकि, शुरुआती दिनों में लोगों के साथ ही सरकारी संस्थाओं ने भी खादी मास्क के प्रति रूचि दिखाई.
'डिजाइनर मास्क की मांग बढ़ी'
वहीं, अब डिजाइनर और विभिन्न मानकों के मास्क बाजार में आ जाने से खादी भंडार के मास्क को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. खादी दुकानदार रमेश शर्मा के अनुसार दिनभर में अब महज इक्के-दुक्के ही खरीदार मास्क लेने पंहुच रहे हैं. वैसे खादी भंडार में भले ही मास्क नहीं बिक रहे हों, लेकिन जिले के बाजार में डिजाइनर मास्क की मांग खूब बढ़ी है. मास्क विक्रेता सुनील कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर एन 95 मानक के मास्क के साथ ही डिजाइनर मास्क की मांग बढ़ी है.