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हाल-ए-स्वास्थ्य: बिहार में भाड़े पर भी लगता है अस्पताल भवन, कहीं भरा है भूसा तो कहीं बांधे जाते हैं मवेशी

बिहार में ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या हाल है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अधिकांश जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और स्वास्थ्य उपकेन्द्र या तो खंडहर बन गया है, या फिर गौशाला. समस्तीपुर में तो स्वास्थ्य केन्द्रों को भाड़े पर लगा दिया गया है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

स्वास्थ्य केन्द्र की बदहाल तस्वीरें
स्वास्थ्य केन्द्र की बदहाल तस्वीरें

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Published : May 27, 2021, 2:39 PM IST

Updated : May 27, 2021, 4:16 PM IST

समस्तीपुरः बिहार के समस्तीपुर स्थित उप स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाल तस्वीरें सामने आई हैं. जिले के रसलपुर, मैरवा और चकलाल शाही में स्वास्थ्य व्यवस्था किस तरीके से धराशाई हो गई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चकलाल शाही स्थित स्वास्थ्य केन्द्र जहां गौशाला बन गया है, वहीं रसलपुर और मैरवा के उप स्वास्थ्य केंद्र को भाड़े पर दे दिया गया है.

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अस्पताल में बांधे जा रहे मवेशी
समस्तीपुर के मोरवा प्रखंड के बनवारीपुर स्वाथ्य उपकेंद्र में डॉक्टर और नर्स कभी नहीं आते हैं. लेकिन यहां स्वाथ्य केंद्र के अंदर गाय और भैंस बंधी जरूर दिखाई देंगी. यहां हर तरफ गंदगी फैली हुई है, दरवाजे टूटे हुए है.

हफ्ते में एक दिन आते हैं डॉक्टर- ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि यहां तो कभी न कोई डॉक्टर आता है न ही कोई मैडम आती हैं. चकलाल शाही स्वास्थ्य केन्द्र में इन दिनों मवेशी बांधे जा रहे हैं. प्रखंड के बीमार लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. ग्रामीण रामदेव राय बताते हैं कि डॉक्टर साहब हफ्ते में एक दिन आते हैं. तबीयत बिगड़ने के बाद मेडिकल स्टोर से दवा खरीदना पड़ता है.

देखें रिपोर्ट

किराए पर स्वास्थ केंद्र
बात करें रसलपुर उप स्वाथ्य केंद्र की तो यहां के स्वाथ्य केन्द्र को ही यहां की एएनएम ने एक हजार रुपए महीने भाड़े पर किराए पर दे दिया. यहां एक नर्स भी रहती है जो किसी दूसरे स्वास्थ्य केंद्र पर नौकरी करती है. उसने बताया कि हम यहां रहने का एक हजार रुपये किराया देते हैं.

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"यहां पर कल कोविड का टीकाकरण हुआ था. हम यहीं पर रहते हैं और इस केंद्र की नर्स को प्रति माह 1000 रुपये का किराया देते हैं." -उमा देवी, किराएदार

स्वास्थ केंद्र की लचर हालत
अमृता देवी बताती हैं कि ऐसा अस्पताल किस काम का जहां न डॉक्टर और न ही कंपाउंडर. 26 जनवरी को यहां एक चॉकलेट तक नहीं बंटता और यहां किसी तरह का कोई इलाज नहीं किया जाता. गांव के लोगों से जब इस बारे में पूछा गया कि अस्पताल की जगह पर जानवर क्यों बांधे जाते हैं तो उन्होंने कहा कि जब कभी डॉक्टर साहब आते हैं तो हम साफ-सफाई करके उन्हें यह जगह दे देते हैं.

नहीं खुलता चकलाल शाही का अस्पताल
जिले के चकलाल शाही का उपस्वाथ्य केंद्र कभी खुलता नहीं है. छह महीने पहले स्वाथ्य केंद्र का पेंट हुआ था. अब हाल यह है कि अस्पताल के चारों तरफ बड़ी घास और झाड़ियां निकल आई हैं. भवन में ताला लगा हुआ है.

वैक्सीन लगवाने से डर रहे ग्रामीण
वहीं, गांव में कोरोना वैक्सीन को लेकर भी लोगों में डर है. लोगों का कहना है कि जिसने भी वैक्सीन लगवाई उसकी तबीयत पहले से ज्यादा खराब हो गई. ग्रामीण कहते हैं कि हमें कोरोना वैक्सीन से ज्यादा भगवान पर भरोसा है.

Last Updated : May 27, 2021, 4:16 PM IST

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